हरी सब्जियों, दालों समेत खाद्य वस्तुओं के बढ़ते दाम के चलते खाद्य महंगाई दर सितंबर महीने में करीब 4 फीसदी उछाल के साथ 9.24 फीसदी पहुंच गई है. मॉनसूनी बारिश के चलते अगस्त-सितंबर के दौरान खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति बाधित रहने के चलते महंगाई दर में उछाल की बात कही गई. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि अक्तूबर-दिसंबर के दौरान खाद्य महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल सकती है. क्योंकि, खरीफ फसलों की कटाई के बाद नई फसलों की आवक बाजार में शुरू होगी.
सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2024 में खाद्य महंगाई दर असामान्य रूप से बढ़कर 9.24 फीसदी पहुंच गई. जबकि, अगस्त में खाद्य महंगाई दर 5.66 फीसदी थी और उससे पहले जुलाई में 5.42 फीसदी थी. अगस्त और जुलाई की तुलना में सितंबर में खाद्य महंगाई दर करीब 4 फीसदी उछल गई. इसी तरह सितंबर महीने में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की खाद्य महंगाई दर में भारी उछाल देखा गया. ग्रामीण महंगाई दर अगस्त में 6.02 फीसदी से बढ़कर सितंबर में 9.08 फीसदी पहुंच गई. जबकि, शहरी महंगाई दर अगस्त की 4.99 फीसदी से बढ़कर सितंबर में 9.56 फीसदी पर पहुंच गई.
खाद्य महंगाई में अचानक बढ़ोत्तरी के पीछे सबसे बड़ी वजह मौसम अनुकूल परिस्थितियां रहीं. अगस्त और सितंबर के दौरान कई राज्यों में तेज मॉनसूनी बारिश और बाढ़ के चलते फसलों को नुकसान पहुंचा तो दूसरी तरफ आपूर्ति में बाधा भी बढ़ा कारण रही. आलू के कोल्ड स्टोरेज से कारोबारी फसल को निकाल नहीं सके, जबकि हिमाचल और यूपी में टमाटर की फसल बर्बाद होने से आपूर्ति प्रभावित हुई. इससे खाद्य पदार्थों के दाम चढ़े रहे.
भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि बेहतर खरीफ फसलों की आवक और अच्छे रबी सीजन की बढ़ती संभावनाओं के कारण इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) की चौथी तिमाही तक भारत की खाद्य महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है. RBI के नेतृत्व वाली मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर की बैठक के मिनट्स में बताया है कि प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक दर्ज की गई है. लगभग सभी फसलों के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी के चलते कुल खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल के 1088.26 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1104.63 लाख हेक्टेयर पहुंच गया.
रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनाज के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक उपलब्ध हैं. जलाशयों का पर्याप्त स्तर, ठंड के मौसम की अच्छी संभावना और अनुकूल मिट्टी की नमी की स्थिति आगामी रबी सीजन के लिए अच्छा संकेत हैं. हालांकि, विपरीत मौसम की घटनाएं जोखिम बनी हुई हैं. रिजर्व बैंक के सर्वे में शामिल फर्मों को कृषि इनपुट लागत पर दबाव कम होने की उम्मीद है.
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