चावल का इतिहास कितना पुराना है और इसकी उत्पत्ति कहां हुई, यह एक महत्वपूर्ण विषय है. इस पर अक्सर चर्चा चलती है और पूछा जाता है कि हमारी थाली में आने वाला चावल कितना पुराना है, उसका इतिहास कितने वर्षों का है और उसकी उत्पत्ति कहां हुई है. इसे लेकर यह भी विवाद देखा जाता है कि कोई कहता है कि चावल चीन से आया जबकि कोई कहता है कि उसका उदगम स्थल भारत है. 'किसान तक' के पॉडकास्ट में भी इस तरह के सवाल उठे जिनका जवाब दिया जाने माने राइस साइंटिस्ट और पूसा के पूर्व निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने. तो आइए उनसे ही जवाब जान लेते हैं.
तथ्यों की बात करें या शास्त्रों में दर्ज जानकारी की तो हमें पता चलेगा कि चावल की खेती लगभग 10,000 साल पहले शुरू हुई थी. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि चावल की उत्पत्ति मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में हुई है, जिसमें चीन का दक्षिणी हिस्सा, भारत, म्यांमार, थाइलैंड और लाओस जैसे देश शामिल हैं. भारत में, ओडिशा राज्य के जयपुर ट्रैक्ट में चावल की सबसे अधिक विविधता पाई जाती है. इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेषकर असम में भी चावल का बड़ा संग्रह किया गया है.
अक्सर यह दावा किया जाता है कि चावल की उत्पत्ति चीन में हुई है, जबकि भारत भी इस पर अपना दावा करता है. इस पर जाने-माने राइस साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार सिंह ने 'किसान तक' के पॉडकास्ट "अन्नगाथा" में बताया. अशोक कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि चावल की उत्पत्ति चीन में यांग्त्ज़ी नदी के बेल्ट में हुई है.
साथ ही भारत में ओडिशा के जयपुर ट्रैक्ट और पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी इसकी स्वतंत्र रूप से उत्पत्ति हुई है. यह दर्शाता है कि चावल का विकास कई क्षेत्रों में समानांतर रूप से हुआ है. यह जानकारी चावल के वैश्विक महत्व और उसके ऐतिहासिक प्रसार को समझने में मदद करती है. यह चर्चा चावल के सांस्कृतिक और कृषि संबंधी महत्व को उजागर करती है. इसी के साथ यह जानकारी पुष्ट हो गई कि चावल का असली उदगम स्थल चीन ही है जबकि उसी दौर में भारत के कुछ क्षेत्रों में भी चावल की स्वतंत्र उत्पत्ति का उल्लेख मिलता है.
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