इस साल देश के कई राज्यों में बाढ़ और भारी बारिश के चलते किसानों की लाखों एकड़ फसल बर्बाद हुई. हालांकि इशके बावजूद भी देश के खाद्यान्न उत्पादन में कोई कमी नहीं देखी जा रही है जो कि एक गुड न्यूज है. खरीफ फसल पर विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ और अत्यधिक वर्षा के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बीते दिनों फसल वर्ष 2025-26 (जुलाई-जून) के लिए खाद्यान्न उत्पादन में 2.4 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी के साथ 362.5 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि 2024-25 में उत्पादन 353 मीट्रिक टन बताया जा रहा है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाढ़ और अधिक ज्यादा बारिश के बावजूद, धान, गेहूं, दालों और मोटे अनाजों सहित खाद्यान्नों का कुल उत्पादन नए उच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना बनी हुई है. चौहान ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि, उन्होंने कहा कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम और हरियाणा के कुछ हिस्से बाढ़ से विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं. उसके बाद भी मौजूदा खरीफ फसल की स्थिति अच्छी है, और चालू फसल वर्ष के लिए लक्ष्य 100 फीसदी है, जिसे बाद में संशोधित किए जाने की संभावना है.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी ने पिछले दिनों कहा कि पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण धान और दलहन की फसलों पर असर पड़ने के बावजूद, इस साल ज्यादा बुआई के कारण खरीफ फसलों में धान, दलहन और तिलहन का कुल उत्पादन पिछले साल के स्तर से कम नहीं होगा. खरीफ फसलों में धान, दलहन, तिलहन, गन्ना और कपास की बुआई पूरी हो चुकी है और इन फसलों का कुल रकबा 111.08 मिलियन हेक्टेयर (mha) को पार कर गया है, जो सामान्य बुआई रकबे 109.6 मिलियन हेक्टेयर से 2.5 फीसदी अधिक है. पहले से ज्यादा रकबे के कारण बंपर फसल उत्पादन की उम्मीद जताई है.
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फसल वर्ष 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन धान, दालें, मोटे अनाज का खरीफ उत्पादन 168 मीट्रिक टन था, जबकि वर्ष के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 353.95 मीट्रिक टन था. 2024-25 के दौरान चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन जैसी प्रमुख फसलों की रिकॉर्ड पैदावार हुई है. इस बीच, क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अगस्त तक लगातार भारी बारिश ने धान, कपास, बाजरा, मक्का और चना जैसी कई खरीफ फसलों को प्रभावित किया है. बीजों की उपलब्धता के बारे में कृषिमंत्री ने बताया कि रबी की बुवाई के लिए 22.9 मीट्रिक टन बीज की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में लगभग 25 मीट्रिक टन बीज उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा, "बारिश और अन्य कारक अक्सर फसल पैटर्न में बदलाव लाते हैं. इस साल अच्छी बारिश के कारण बुवाई का रकबा बढ़ा है, जिससे उर्वरकों की मांग भी बढ़ी है.
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