Crop Loss: भारी बारिश से राजस्‍थान और गुजरात में बाजरा की फसल चौपट, ज्‍वार पर भी पड़ा असर 

Crop Loss: भारी बारिश से राजस्‍थान और गुजरात में बाजरा की फसल चौपट, ज्‍वार पर भी पड़ा असर 

राज्‍य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि राजस्‍थान में पहले किसानों को फसल नुकसान के बारे में एक निश्चित पोर्टल पर ऑनलाइन जानकारी देने के लिए कहा गया था. लेकिन बाद में सरकार की तरफ से फिजिकल वैरीफिकेशन प्रक्रिया शुरू कर गई. इस प्रक्रिया की डेडलाइन पहले सात सितंबर तय की गई थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 20 सितंबर कर दिया गया है.

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Crop Loss: भारी बारिश से राजस्‍थान और गुजरात में बाजरा की फसल चौपट, ज्‍वार पर भी पड़ा असर Crop Loss: राजस्‍थान में इस बार बाजरा पर बारिश की मार

राजस्‍थान देश में बाजरा का एक प्रमुख उत्‍पादक राज्‍य है लेकिन इस साल यहां पर इस मोटे अनाज की पूरी फसल चौपट हो गई है. भारी बारिश के चलते राजस्‍थान में कई फसलों का काफी नुकसान हुआ है और इसमें बाजरा सबसे ऊपर है. राज्‍य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की तरफ से भी इस बात की जानकारी दी गई है. अभी तक हालांकि नुकसान की स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि 75 फीसदी तक फसल नष्‍ट हो गई है. कृषि मंत्री मीणा की मानें तो असली तस्‍वीर 20 सितंबर के बाद पता लग पाएगी जब राज्‍य में जारी फसल नुकसान सर्वे का काम पूरा हो जाएगा. उनका कहना था कि सोयाबीन, ग्‍वार और मक्‍का की फसल पर भी असर पड़ा है. 

सरकारें लगा रहीं नुकसान का पता 

जहां राज्‍य में भारी बारिश के चलते खरीफ फसलों का उत्‍पादन इस बार कम रहने की आशंक जताई जा रही है तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ें इससे अलग दावे करते हैं. मंत्रालय का दावा है कि इस खरीफ में खाद्यान्नों—चावल, दालों और मोटे अनाजों, का उत्पादन साल 2024 के मुकाबले कम होने की संभावना नहीं है. मंत्रालय की मानें तो कुछ राज्यों में नुकसान जरूर हुआ है लेकिन बाकी इलाकों में पैदावार ज्‍यादा होगी, खासकर जहां रकबा ज्‍यादा है और बारिश अच्‍छी रही है. 

मीणा ने कहा कि राजस्‍थान में पहले किसानों को फसल नुकसान के बारे में एक निश्चित पोर्टल पर ऑनलाइन जानकारी देने के लिए कहा गया था. लेकिन बाद में सरकार की तरफ से फिजिकल वैरीफिकेशन प्रक्रिया शुरू कर गई. इस प्रक्रिया की डेडलाइन पहले सात सितंबर तय की गई थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 20 सितंबर कर दिया गया है. एक बार सर्वे पूरा हो जाने के बाद राज्‍य सरकार फैसला करेगी कि अब राहत और मुआवजा कितना और किस प्रकार का होगा जिसे फसल बीमा के दावे भी शामिल होंगे. 

9 सितंबर तक राजस्थान में बाजरा का रकबा 43.15 लाख हेक्टेयर (एलएच) था, जो एक साल पहले 43.25 एलएच से कम था. इसी तरह से ग्वार का रकबा 27.21 एलएच के मुकाबले 24.51 एलएच था, मक्का का रकबा 9.70 एलएच के मुकाबले 9.85 एलएच था और सोयाबीन का रकबा 10.79 एलएच के मुकाबले 9.83 एलएच दर्ज किया गया था. 

मोती बाजरा की फसल तबाह 

राजस्‍थान की ही तरह गुजरात में भी बाजरा खासतौर पर मोती बाजरा की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है. उत्तर गुजरात में मोती बाजरा की खेती खासतौर पर की जाती है और यह क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से बाढ़ और बारिश से गुजर रहा है. इस बारिश की वजह से 1.21 लाख हेक्‍टेयर में खड़ी बाजरा की फसलें पानी में डूब गई हैं. राज्‍य में अभी फसल नुकसान के आधिकारिक आंकड़ें जारी नहीं किए गए हैं लेकिन सरकारी सूत्रों की मानें तो इा महीने आई बाढ़ से काफी किसानों को नुकसान हुआ है. गुजरात में इस साल 1.72 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में बाजरा बोया गया था और यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 2.7 फीसदी ज्‍यादा था. 

बाजरा के अलाचा एक और पौष्टिक अनाज ज्‍वार जो मध्‍य गुजरात में उगाया जाता है, उस पर भी असर पड़ा है. क्षेत्र के कई जिलों में इस बार इसकी खेती में 40 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल 1900 हेक्‍टेयर में ज्‍वार की खेती हुई थी तो इस बार यह आंकड़ा 11200 हेक्‍टेयर पर सिमट गया है. वहीं मक्‍का के रकबा भी 1.7 प्रतिशत कम हो गया है और यह 2.8 लाख हेक्‍टेयर पर है. 

कृषि मंत्रालय ने क्‍या कहा 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र बाढ़ और भारी बारिश से हुए नुकसान का आकलन कर रहा है. जबकि कई राज्यों ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी है. उन्होंने कहा कि सरकार नुकसान का पता लगाने के लिए सैटेलाइट से मिली तस्‍वीरों की मदद ले रही है. जो बाकी फसलों की तुलना में धान के मामले में प्रभावी है. 

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