Rice Prices: भारत और पाकिस्तान में बाढ़ से भारी फसल नुकसान, फिर भी गिर सकती हैं चावल की वैश्विक कीमतें

Rice Prices: भारत और पाकिस्तान में बाढ़ से भारी फसल नुकसान, फिर भी गिर सकती हैं चावल की वैश्विक कीमतें

Rice Prices: एक अनुसंधान एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि भारत और पाकिस्तान में बाढ़ के कारण फसल नुकसान के बावजूद भी पर्याप्त आपूर्ति बनी रहेगी और इससे वैश्विक चावल की कीमतों में गिरावट की संभावना है. एजेंसी ने कहा कि ब्राज़ील और कोलंबिया में उत्पादन बढ़ने के कारण वैश्विक चावल उत्पादन में वृद्धि होगी.

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भारत और पाकिस्तान में बाढ़ से भारी फसल नुकसान, फिर भी गिर सकती हैं चावल की वैश्विक कीमतेंबासमती चावल निर्यात (सांके‍ति‍क तस्‍वीर)

भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों में धान की फसल को हुए नुकसान के बावजूद, वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है. विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा मूल उत्पादक देशों, खासकर भारत में प्रचुर आपूर्ति के कारण है. चावल की कीमतें इस समय आठ साल के निचले स्तर पर हैं. हालांकि, फिच सॉल्यूशंस की एक इकाई, अनुसंधान एजेंसी बीएमआई ने कहा कि अल्पावधि में, अहम जोखिम यह है कि "विशेष रूप से मजबूत भारतीय मानसून" देश की चावल की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. 

वैश्विक चावल उत्पादन में वृद्धि होगी

अंग्रेजी अखबार 'बिजनेस लाइन'की रिपोर्ट में बीएमआई ने कहा कि औसत से ज़्यादा बारिश हुई हैं, लेकिन हम देखते हैं कि कुछ इलाकों में बारिश बहुत ज़्यादा हुई और अंततः फसल के रकबे पर इसका असर पड़ सकता है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार, ब्राज़ील और कोलंबिया में उत्पादन बढ़ने के कारण वैश्विक चावल उत्पादन में वृद्धि होगी. USDA ने सप्ताहांत में जारी अपनी "अनाज: विश्व बाजार और व्यापार" रिपोर्ट में कहा, कि भारत और पाकिस्तान से निर्यात में कमी के कारण वैश्विक व्यापार में कमी का अनुमान है. वैश्विक खपत, मुख्यतः बर्मा और संयुक्त राज्य अमेरिका में, कम रहने का अनुमान है. भारत और पाकिस्तान में वृद्धि के कारण वैश्विक अंतिम स्टॉक में वृद्धि का अनुमान है.

सबसे निचले स्तर पर गेहूं और चावल के निर्यात मूल्य 

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने कहा कि अगस्त में गेहूं और चावल के निर्यात मूल्य वर्षों के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गए, जिसका मुख्य कारण प्रचुर वैश्विक आपूर्ति और कमज़ोर मांग थी. एफएओ की कृषि बाज़ार सूचना प्रणाली (एएमआईएस) ने कहा कि 2025-26 (सितंबर-अगस्त) में वैश्विक चावल उत्पादन एक साल पहले के 549.9 मिलियन टन की तुलना में बढ़कर 555.4 मिलियन टन (एमटी) होने की संभावना है. बीएमआई ने कहा, "हम 2025 के लिए सीबीओटी-सूचीबद्ध, दूसरे महीने के चावल वायदा के लिए अपने मूल्य पूर्वानुमान में कमी कर रहे हैं, जो $13.9 (1,228 रु.) /cwt  (45.35 किग्रा) से $12.8 (1,123 रु.)/cwt हो जाएगा."

भारत से बनी रहेगी पर्याप्त आपूर्ति

शोध एजेंसी ने कहा कि उसकी मंदी की आशंकाओं का मुख्य कारण, विशेष रूप से भारत, जो सबसे बड़ा निर्यातक बाजार है, उसमें अपेक्षित प्रचुर आपूर्ति बनी हुई है. एजेंसी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, हमारा अनुमान है कि उत्पादन में साल-दर-साल 0.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो खपत में साल-दर-साल 1.8 प्रतिशत की वृद्धि से कहीं अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप कम ही सही पर बाजार सरप्लस में बना रहेगा. भारतीय खाद्य निगम के अनुसार, 1 सितम्बर तक देश में चावल का स्टॉक 37.97 मिलियन टन था, इसके अतिरिक्त इसके गोदामों में 21.35 मिलियन टन बिना पिसा हुआ धान (प्रसंस्कृत होने पर 14.5 मिलियन टन चावल) था, जो अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है.

भारतीय धान की कीमतें स्थिर

FAO ने कहा कि चावल का समग्र मूल्य सूचकांक अगस्त में, जुलाई की तुलना में 2 प्रतिशत गिरकर 101.4 अंक पर आ गया. यह सूचकांक साल-दर-साल 24.3 प्रतिशत कम रहा. वियतनाम में कमजोर मांग के कारण कीमतों में गिरावट आई है, जबकि थाईलैंड ने भी अपनी कीमतें कम कर दीं और अमेरिका एवं पाकिस्तान भी चावल की कीमतें कम करने वाले देशों में शामिल हो गए. अफ्रीका से मांग के कारण भारतीय सफेद चावल की कीमतें स्थिर रहीं, जबकि कम स्टॉक और ईरान को बिक्री की उम्मीद से बासमती चावल की कीमतों में तेजी आई, जो आयात पर मौसमी प्रतिबंध हटाने वाला है. एफएओ ने कहा कि भारतीय पूसा बासमती की कीमत 925 डॉलर प्रति टन रही, जबकि पाकिस्तान के बासमती की कीमत 1,064 डॉलर प्रति टन रही.

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