इस मौसम में आलू किसानों के चेहरे पर खुशी और फिक्र दोनों ही है. दिन में किसान आलू के पौधों को देखकर खुश हो रहा है तो रात को कोहरे के साथ हाड़ कंपाता मौसम देखकर फिक्रमंद भी है. दिन में धूप और रात को ठंड, कोहरा आलू की फसल के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं. लेकिन पाला और लगातार नीचे लुढ़कता पारा हमेशा आलू को नुकसान पहुंचाता है. आलू किसानों का अनुभव बताता है कि ज्यादातर जनवरी में मौसम जरूर करवट बदलता है.
दिन-रात बदलते मौसम के बीच जनवरी में कब बारिश हो जाए, किसी को नहीं पता. बूंदा-बांदी वाली ही सही लेकिन ये बारिश आलू की फसल को सड़ा देती है. यही डर किसानों को सता रहा है. आगरा-अलीगढ़ में देश के कुल उत्पादन का करीब 30 फीसद आलू पैदा होता है. यहीं का आलू साल के 10 महीने तक देशभर में खाया जाता है.
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आलू किसान और एक्सपोर्ट करने वाले युवराज परिहार ने किसान तक को बताया कि मौजूदा मौसम आलू की फसल के लिए बड़ी संजीवनी है. दिन में धूप और रात को कोहरा, पाला से आलू की ग्रोथ होती है. आलू का साइज बढ़ता है और साथ में 90 फीसद आलू एक समान साइज का होता है. ऐसे आलू के बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं. चिप्स बनाने वाली कंपनियां भी एक समान साइज के आलू की डिमांड करती हैं. यही वजह है कि इस मौसम को देखकर सभी आलू किसान खुश हैं.
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आलू किसान विनोद का कहना है कि जब ज्यादा कोहरा पड़ने लगता है जिसे पाला भी कहते हैं तो आलू में झुलसा रोग लग जाता है. आलू की पौध पीली पड़ने लगती है. आलू की ग्रोथ कम हो जाती है. उत्पादन घट जाता है. आलू का साइज भी बिगड़ जाता है. छोटा, बहुत ज्यादा छोटा, बड़ा, मीडियम कई तरह के आलू पैदा होते हैं. इसके अच्छे रेट भी नहीं मिल पाते हैं. जो सब्जियों में इस्तेमाल लायक आलू होता भी है तो उसके दाम बढ़ जाते हैं. यही वजह है कि रात में और सुबह जब ज्यादा कोहरा गिरता है तो किसानों को फसल की फिक्र होने लगती है.
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