ग्रामीण इलाकों में मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें. इसके लिए सरकार कई योजनाएं चलाकर किसानों को सब्सिडी और कई अन्य सुविधाएं भी दे रही है, ताकि वे मछली पालन कर बेहतर उत्पादन कर सकें. इसी कड़ी में बिहार सरकार राज्य में मछली पालन और उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार कई योजनाओं के जरिए किसानों और मछुआरों को मछली पालन के लिए सब्सिडी दे रही है. ऐसे में बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य में पठार क्षेत्र यानी जो पहाड़ी इलाके हैं, वहां तालाब बनाने के लिए मत्स्य पालन योजना लागू की है. इसके तहत मछुआरों को मछली पालन के लिए तालाब निर्माण की लागत पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी. इसके लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं. इच्छुक किसान लाभ लेने के लिए योजना में आवेदन कर सकते हैं.
यह योजना राज्य के बांका, औरंगाबाद, गया, कैमूर, नवादा, जमुई, मुंगेर और रोहतास जिलों के पहाड़ी क्षेत्र में लागू की जाएगी. इस योजना का मकसद राज्य के पहाड़ी जिलों में विशेष सहायता के तहत तालाबों का निर्माण और इससे जुड़ी यूनिट्स लगाकर मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है ताकि इन क्षेत्रों में इच्छुक किसानों को लाभ मिल सके. इस योजना के चालू होने से क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, जिससे मछली पालने वाले किसानों को रोजी-रोटी का साधन मिलेगा.
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पहाड़ी इलाकों में तालाब बनाने के लिए मत्स्य पालन की योजना दक्षिण बिहार के पहाड़ी जिलों में शुरू की जाएगी. इन जिलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को मछली पालन के लिए तालाब निर्माण के लिए आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दी जाएगी. इस योजना के तहत तालाब निर्माण, नलकूप और सोलर पंप के साथ-साथ इनपुट और शेड के लिए इकाई पैकेज तैयार किया गया है, ताकि मछली पालन सही ढंग से किया जा सके. इस योजना के अंतर्गत तालाब निर्माण की इकाई लागत 16.70 लाख रुपये (नलकूप और सोलर पंप, उन्नत इनपुट और शेड) लगने का अनुमान है, जिस पर लाभार्थियों को 80 प्रतिशत की दर से 13.36 लाख रुपये सब्सिडी दी जाएगी.
इस योजना के तहत प्रस्तावित तालाब निर्माण के लिए सब्सिडी दी जाएगी. इस योजना के तहत अधिकतम एक और न्यूनतम 0.4 एकड़ क्षेत्र में तालाब बनाने के लिए सब्सिडी का पैसा दिया जाएगा. इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास निजी/पट्टे पर ली गई जमीन होनी चाहिए. अगर जमीन पट्टे पर है तो उसका पट्टा पत्र रजिस्ट्रेशन मूल्य एक हजार होना चाहिए और अगर पट्टा रजिस्ट्रेशन कम से कम नौ साल के लिए उपलब्ध है तो इस योजना के तहत आवेदन किया जा सकता है. इस योजना में लाभ के लिए अंतिम तिथि 30 अगस्त है.
इच्छुक मछली पालक इस योजना का लाभ लेने के लिए 30 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं. यह आवेदन मत्स्य निदेशालय, बिहार की आधिकारिक वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in/Accordion.aspx पर किया जा सकता है. जिन किसानों ने पहले से इस विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है, वे वेबसाइट पर जाकर सीधे आवेदन कर सकते हैं.
जिन किसानों ने पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वे न्यू रजिस्ट्रेशन के लिंक पर क्लिक कर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इस योजना के लिए लाभार्थी का चयन उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा किया जाएगा. गठित समिति की मंजूरी के बाद जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-मुख्य कार्यपालक द्वारा लाभार्थी के बैंक खाते में आरटीजीएस/एनईएफटी/डीबीटी के माध्यम से पेमेंट किया जाएगा. लाभार्थी को तालाब पर स्थायी बोर्ड लगाना जरूरी होगा.
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