फरीदाबाद में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध तेज, उचित मुआवजे की मांग

फरीदाबाद में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध तेज, उचित मुआवजे की मांग

फरीदाबाद में किसानों ने ज़मीन अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरकार की लैंड पूलिंग स्कीम को किसानों ने बताया अन्यायपूर्ण और मुआवजा दरों को बहुत कम बताया. जानिए पूरी खबर.

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फरीदाबाद में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध तेज, उचित मुआवजे की मांगफरीदाबाद में लैंड पूलिंग के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

हरियाणा सरकार द्वारा फरीदाबाद में एक नया औद्योगिक नगर बसाने की योजना को किसानों का कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है. इस योजना के तहत सरकार लैंड पूलिंग स्कीम के जरिए जमीन अधिग्रहण करना चाहती है. लेकिन 11 गांवों के किसान इस स्कीम के खिलाफ एकजुट हो गए हैं.

पूर्व कांग्रेस विधायक लालित नागर के नेतृत्व में किसानों ने केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से मुलाकात की और साफ़ कहा कि वे किसी भी हाल में अपनी ज़मीन मौजूदा दरों पर नहीं देंगे.

क्या है सरकार की योजना?

हरियाणा राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (HSIIDC) लगभग 9,000 एकड़ ज़मीन फरीदाबाद और पलवल की 9 गांवों से अधिग्रहित करना चाहता है. इसका उद्देश्य एक नया इंडस्ट्रियल सिटी बसाना है जो ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के ज़रिए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़ी होगी.
इसके अलावा, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) लगभग 4,500 एकड़ अतिरिक्त ज़मीन रिहायशी और व्यवसायिक विकास के लिए अधिग्रहित करेगा. इसके लिए जिन गाँवों की ज़मीन ली जाएगी, उनमें खेड़ी कलां, नचौली, ताजपुर, धकोला, शहबाद, बदरपुर सैद, साहुपुरा, सोतई, सुनपेड़, मलेरना, जाजरू, भैंसरावली, फत्तूपुरा, भूपापुर, जसाना, फरीदपुर, सादपुरा और तिगांव शामिल हैं.

किसानों का आरोप, सरकार कम दे रही मुआवजा

किसानों का कहना है कि सरकार जो मुआवजा दे रही है, वह बाज़ार भाव से बहुत कम है. एक किसान प्रतिनिधि ने बताया, "हमारी जमीन की मार्केट वैल्यू कम से कम ₹4 करोड़ प्रति एकड़ है, जबकि सरकार सिर्फ ₹1 करोड़ प्रति एकड़ का मुआवजा देना चाहती है. यह हमारे लिए बहुत बड़ा घाटा है. यह हमारी पुश्तैनी जमीन है और सरकार हमें इसका सही मूल्य नहीं देना चाहती."

सरकार की सफाई, जबरदस्ती नहीं होगी

कृष्णपाल गुर्जर ने किसानों को आश्वासन दिया कि किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि किसी से भी ज़बरदस्ती जमीन नहीं ली जाएगी. अगर किसानों के मन में कोई मुआवज़े की दर है, तो वे सरकार से बात करें. यह एक आपसी सहमति से लिया जाने वाला निर्णय होगा. अगर सहमति नहीं बनी, तो जमीन नहीं ली जाएगी."

फरीदाबाद में औद्योगिक विकास की योजना फिलहाल किसानों के विरोध के कारण अटकती दिख रही है. जब तक सरकार और किसानों के बीच उचित मुआवज़े को लेकर सहमति नहीं बनती, तब तक यह योजना आगे बढ़ना मुश्किल है. किसानों की मांग साफ है- "ज़मीन देंगे, लेकिन सही दाम पर."

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