नेपाल इस वक्त बहुत बड़े संकट से जूझ रहा है. पड़ोसी देश होने के नाते जाहिर इसकी कुछ प्रतिशत ही सही, मगर भारत पर भी आंच आएगी. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने इसको लेकर बहुत अहम बात कही है. उनका कहना है कि नेपाल में हिंसा और आगजनी जैसी आंतरिक स्थिति के कारण अस्थायी रूप से बॉर्डर बंद हो गए हैं. इस फैसले से करीब 60–70 हज़ार मीट्रिक टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की आवाजाही रुक गई है.
ठक्कर ने बताया कि इस अचानक रोक से सीमापार व्यापार प्रभावित हुआ है और अब त्योहारों के सीजन में भारत के खाद्य तेल बाजार पर इसका असर दिख सकता है. व्यापार सूत्रों का कहना है कि नेपाल के लिए पहले से तय बड़ी खेप अब भारत की ओर आएगी. भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है और पहले से ही कमजोर तिलहन फसल (अनियमित बारिश की वजह से) और आपूर्ति की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में यह खाद्य तेल बाजार में बदलाव, नई खरीदारी की मांग और कीमतों पर दबाव डाल सकता है.
निर्यातकों ने भारतीय खरीदारों को चेताया है कि वे जल्द से जल्द खरीदारी सुनिश्चित कर लें. अगर नेपाल की सीमा लंबे समय तक बंद रहीं तो तेल की आपूर्ति पर दबाव और तंगी हो सकती है और दाम तेजी से बढ़ सकते हैं. शंकर ठक्कर के मुताबिक, नेपाल की मांग अब भारत की ओर आने से देश के रिफाइनर और व्यापारी अतिरिक्त दबाव में आ जाएंगे. इससे तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं. खास बात यह है कि यह स्थिति ऐसे समय में बनी है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाम तेल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतें पहले से ही चढ़ रही हैं.
गौरतलब है कि नेपाल की जीडीपी भले ही छोटी हो मगर भारत से बड़ी मात्रा में कृषि और खाद्य उत्पादों की खरीद करता है. सिर्फ वित्त वर्ष 2024-25 के ही आंकड़े देखें तो भारत से नेपाल ने करीब 5,693 करोड़ रुपये के 17 लाख मीट्रिक टन उत्पाद आयात किए है. इसमें नेपाल ने सबसे ज्यादा 6.06 लाख मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल का आयात किया जो 1,551 करोड़ रुपये का था. साथ ही नेपाल ने भारत से 375 हजार मीट्रिक टन के दूसरे अनाज 963 करोड़ रुपये में और लगभग उतनी ही मात्रा में ताजी सब्जियां 553 करोड़ रुपये में खरीदीं.
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