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Farmers Story: कम मिट्टी में कैसे करें खेती, यूपी के इस जिले में मिल रही है मुफ्त ट्रेनिंग, आप भी सीखें यह नई विधि

Farmers Story: कम मिट्टी में कैसे करें खेती, यूपी के इस जिले में मिल रही है मुफ्त ट्रेनिंग, आप भी सीखें यह नई विधि

यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है. इसमें गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं. 

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मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय मलिक (Photo-Kisan Tak) मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय मलिक (Photo-Kisan Tak)

Hydroponic Farming: देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस नए तरीके से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा  है. साथ ही उनके आय में बढ़ोतरी भी हो रही है.अब बिना जमीन के भी पौधों का अंकुरण किया जा सकता है, उसको लेकर भी टेक्नोलॉजी अपनाई जा रही है. इसी आधनिक टेक्नोलॉजी को लेकर मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर के बॉटनी डिपार्मेंट में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा.

26 और 27 फरवरी को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला

वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय मलिक ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में 26 और 27 फरवरी को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डिपार्टमेंट में किया जाएगा. ऐसे में जो भी युवा इस विधि को सीखना चाहते हैं वह सभी इस कार्यशाला का हिस्सा बन सकते हैं. उनसे किसी भी प्रकार का कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि आम लोग भी प्रतिभाग कर इस विधि को जान सकते हैं. इस कार्यशाला में हाइड्रोपोनिक तकनीक के एक्सपर्ट पटना के रहने वाले मोहम्मद जावेद आलम और मोहम्मद यूसुफ आलम मौजूद रहेंगे जो युवाओं को इस पद्धति के बारे में बताएंगे.

हाइड्रोपोनिक खेती के टिप्स

प्रोफेसर विजय मलिक ने आगे बताया कि हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है कम मिट्टी में सिर्फ पानी के जरिए खेती. यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का इस्तेमाल करते हुए जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है. पानी के साथ थोड़े बालू या कंकड़ की जरूरत पड़ सकती है. इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आर्द्रता को 80-85 फीसदी रखा जाता है. पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही दिए जाते हैं.

शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी और बहुत कुछ...

उन्होंने कहा, हाइड्रोपोनिक फ़ार्मिंग में खेती पाइपों के जरिए होती है. इनमें ऊपर की तरफ से छेद किए जाते हैं और उन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं. पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं. इस पानी में वह हर पोषक तत्व घोला जाता है, जिसकी पौधे को जरूरत होती है. यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है. इसमें गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं. 

कम पानी-बालू और कंकड़ का इस्तेमाल

प्रोफेसर विजय मलिक बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से एक विशेष तकनीक अपनाई जाती है. प्लास्टिक के पाइपों में पौधों का अंकुरण आसानी से हो जाता है. साथ ही बेहद कम मिट्टी और पानी के माध्यम से इसमें सिंचाई होती है. वहीं बीजों के अंकुरण की बात की जाए तो उसमें भी सफलता देखने को मिल रही है. इस तरह की खेती केवल पानी, मिट्टी या बालू और कंकड़ में की जाती है. उन्होंने बताया कि हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके किसान आज लाखों में कमाई कर रहे है. इसलिए 26 और 27 फरवरी को दो दिवसीय ट्रेनिंग कैंप में आकर किसान इस तकनीक की जानकारी लेकर खेती-किसानी में अपना भविष्य संवार सकता हैं.

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