फलों का राजा आम केवल गर्मियों के सीजन में ही मिलता है. इसे खाने के शौकीन इसका इंतजार पूरे साल करते हैं. दरअसल, भारत के साथ ही दुनिया के और भी देशों में आम की अलग-अलग किस्में मिलती हैं. लेकिन भारत के आम की एक अपनी ही खास पहचान है. जो अपने स्वाद और विशेषताओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है. कुछ आम अपनी मिठास, साइज, खुशबू और कुछ अपने औषधीय गुणों की वजह से जाने जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराष्ट्र और गुजरात में कौन सा आम उगाया जाता है. यानी यहां के कौन से आम फेमस हैं. आइए जानते हैं वहां की 5 बेस्ट किस्में कौन सी हैं और क्या हैं उनकी खासियत.
अल्फांसो को हापुस भी कहा जाता है. ये देश का सबसे लोकप्रिय और महंगा आम है. इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों भी बहुत है. आम की इस किस्म की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और सिंधुदुर्ग में होती है. वहीं, साल 2018 में इसे जीआई (GI) टैग भी मिल चुका है. यह एक मलाईदार, बहुत ही मीठा और अच्छी खुशबू वाला आम है. इसके पकने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से मई के बीच का होता है. बता दें कि अल्फांसो भारत का सबसे ज्यादा निर्यात किया जाने वाला आम है.
सबसे महंगी किस्मों में से एक होने के कारण, केसर के गूदे का रंग केसर जैसा होता है. वहीं, इसका गंध भी केसर जैसा होता है जो इसकी सबसे बड़ी पहचान है. यह ज्यादातर अहमदाबाद और गुजरात के आस-पास में उगाया जाता है. दरअसल, इस किस्म की खेती सबसे पहले 1931 में जूनागढ़ के नवाबों ने की थी और 1934 में इसका नाम केसर रखा गया. बता दें कि इस आम को 2011 में जीआई टैग दिया गया था.
आम की यह किस्म मुख्य तौर पर गुजरात से संबंधित है और एक दुर्लभ किस्म है, खासकर ये वडोदरा में पाई जाती है. लेकिन महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होने के कारण अब इसे महाराष्ट्र की किस्म के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के नंदुरबार, धुले, जलगांव, अकोला और अमरावती में की जाती है. वनराज किस्म एक अच्छी क्वालिटी वाली किस्म है जो कि अपने गहरे रंग और बेहतरीन स्वाद के लिए काफी लोकप्रिय है. इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है.
राजापुरी आम का भारत का सबसे प्राचीन आम माना जाता है. इसे इसके बड़े आकार, मोटे छिलके और हल्के मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर और संगाली में की जाती है. इसके अलावा गुजरात में भी राजापुरी आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. राजापुरी एक देसी और पारंपरिक किस्म है. इसके एक फल का वजन 500 ग्राम से 1.5 किलो तक होता है. वहीं, इसका इस्तेमाल लोग अचार बनाने में करते हैं.
मलगांव आम एक स्थानीय और पारंपरिक किस्म का आम है जिसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के सांगली जिले के मलगांव और उसके आसपास के इलाकों में होती है. आम की ये किस्म अपने मीठे स्वाद, खुशबू और देसी गुणों के लिए जानी जाती है. यह आम पकने पर पीला तो कभी-कभी गुलाबी भी हो जाता है. इसके गूदे में रेशा नहीं होता और यह चिकना होता है. अभी तो यह आम स्थानीय मंडियों में सबसे ज्यादा बिकता है लेकिन अन्य बाजारों में इसकी पहुंच बनाने की कोशिशें चल रही हैं.
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