देश में पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे-चिकन का बड़ा बाजार है. और खास बात ये है कि हर साल इस बाजार में बढ़ोतरी हो रही है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अंडे-चिकन के लिए मुर्गी पालन दो तरह से किया जाता है, पहला कमर्शियल और दूसरा बैकयार्ड. बैकयार्ड वो है जो खेत-खलिहान, फार्म हाउस और घर के पीछे के हिस्से में 10-20 से लेकर 100-50 मुर्गियों का पालन किया जाता है. लेकिन खास बात ये है कि दोनों ही तरह के मुर्गी पालन में कोशिश यही होती है कि मुनाफा बढ़ाने के लिए लागत को कैसे कम किया जाए.
इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम (आईएफएस) तैयार किया है. इस सिस्टम से मुर्गियों को बकरियों के साथ पाला जाएगा. हालांकि गांवों में तो ये होता ही है कि गाय-भैंस, भेड़-बकरी के साथ मुर्गी पालन भी किया जाता है. लेकिन, अगर सीआईआरजी के इस सिस्टम का पालन किया तो मुर्गियों के फीड की लागत 30 से 40 ग्राम तक कम हो जाएगी.
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आईएफएस एक्सपर्ट की मानें तो इसके तहत एक ऐसा शेड तैयार किया जाता है जिसमे बकरी और मुर्गियां बराबर में साथ रहती हैं. दोनों के बीच फासले के तौर पर लोहे की एक जाली लगी होती है. जैसे ही बकरियां सुबह चरने के लिए चली जाती हैं तो जाली में लगा एक छोटी सा गेट खोल दिया जाता है. गेट खुलते ही मुर्गियां बकरियों की जगह पर आ जाती हैं. यहां जमीन पर या लोहे के बने स्टॉल में बकरियों का बचा हुआ चारा जिसे अब बकरियां नहीं खाएंगी पड़ा होता है. इसे मुर्गियां बड़े ही चाव से खाती हैं.
बचे हुए हरे चारे में बरसीम, नीम, गूलर और उस तरह के आइटम भी हो सकते हैं, इसे जब मुर्गियां खाती हैं तो उन्हें कई तरह का फायदा पहुंचाता है. और दूसरा ये कि जो फिकने वाली चीज होती है उसे मुर्गियां खा लेती हैं. इस तरह से जिस मुर्गी को दिनभर में 110 ग्राम या फिर 130 ग्राम तक दाने की जरूरत होती है तो इस सिस्टम के चलते 30 से 40 ग्राम तक दाने की लागत कम हो जाती है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि बकरियों संग पलने वालीं मुर्गियों के लिए प्रोटीन की भी कोई कमी नहीं रहती है. करना बस इतना होता है कि पानी का एक छोटा सा तालाब बना लें. इसका साइज मुर्गियों की संख्या पर भी निर्भर करता है. इसकी गहराई भी बहुत कम ही होती है. इसमे थोड़ी सी मिट्टी डालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी मिला दें. साइज के हिसाब से मिट्टी और मेंगनी का अनुपात भी तय किया जाता है.
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आईएफएस सिस्टम एक बकरी पर पांच मुर्गियां पाली जा सकती है. हालांकि सीआईआरजी ने एक एकड़ के हिसाब से प्लान को तैयार किया है. इस प्लान के तहत आप बकरियों संग मुर्गी पालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी से कम्पोस्ट भी बना सकते हैं. इस कम्पोस्ट का इस्तेमाल आप बकरियों का चारा उगाने में कर सकते हैं. ऐसा करने से एकदम ऑर्गनिक चारा मिलेगा.
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