क्रॉपलाइफ इंडिया, जो कि भारत की प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च-आधारित फसल सुरक्षा कंपनियों का संगठन है, ने अपनी 45वीं वार्षिक आम सभा के अवसर पर "नेशनल कॉन्फ्रेंस 2025" का आयोजन किया. इस सम्मेलन में भारत सरकार के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नीति निर्माता, वैज्ञानिक, अकादमिक संस्थाएं और उद्योग जगत के बड़े नेता शामिल हुए.
सम्मेलन की शुरुआत "विकसित भारत 2047" की दिशा में रोडमैप से हुई. इसमें यह बताया गया कि कैसे फसल सुरक्षा और आधुनिक एग्री-टेक्नोलॉजी भारत को $1 ट्रिलियन एग्रीकल्चर इकॉनमी की ओर ले जा सकती है. चौहान ने कहा, “किसान हमारे देश की आत्मा हैं और उन्हें सशक्त बनाना हमारी प्राथमिकता है. आने वाले समय में, जब भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुँचेगी, तब खाद्य और पोषण सुरक्षा सबसे जरूरी होगी.”
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि हमें प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ानी होगी और नई तकनीकों को अपनाकर किसानों की समस्याओं का वैज्ञानिक समाधान खोजना होगा. उन्होंने उद्योग, वैज्ञानिकों और सरकार के मिलकर काम करने की जरूरत पर ज़ोर दिया.
डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि भारत का एग्रोकेमिकल सेक्टर आज देश की खाद्य सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है. उन्होंने बताया कि 9–11% की दर से बढ़ता यह उद्योग, यदि जिम्मेदारी के साथ काम करे, तो यह किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण सभी के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
डॉ. पी. के. सिंह ने डिजिटल तकनीक और AI की मदद से कृषि नियमों को आसान बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि केवल जरूरत पड़ने पर ही कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए और बायो-पेस्टीसाइड्स को बढ़ावा देना चाहिए.
ICAR की डॉ. वंदना त्रिपाठी और डॉ. पूनम जसरोतिया ने यह बताया कि पूरे भारत में एक समान पेस्टिसाइड रेसिड्यू डाटा इकट्ठा करना जरूरी है ताकि स्वास्थ्य पर प्रभाव की सटीक जानकारी मिल सके.
CIB&RC के सचिव डॉ. सुभाष चंद ने बताया कि निर्यात के लिए आयात की नीति में संतुलन बनाए रखना जरूरी है ताकि उद्योग को सुविधा मिले और गलत इस्तेमाल से बचाव हो सके. उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक टी. एम. त्रिपाठी ने कहा कि किसानों को ट्रेनिंग और ड्रोन तकनीक का सही इस्तेमाल सिखाना जरूरी है.
CEO पैनल में चर्चा हुई कि पेस्टिसाइड्स को गलत समझा जा रहा है जबकि ये फसलों की दवा हैं. विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में केवल 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल होता है, जबकि विश्व औसत 8,000 ग्राम है. इससे स्पष्ट है कि भारतीय किसान जरूरत से ज्यादा नहीं, बल्कि बहुत ही कम उपयोग करते हैं.
क्रॉपलाइफ इंडिया के चेयरमैन अंकुर अग्रवाल ने कहा कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक और चौथा सबसे बड़ा निर्माता है. उन्होंने बताया कि फसल सुरक्षा के क्षेत्र में भारत ₹40,000 करोड़ का निर्यात कर रहा है. अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो भारत खाद्य सुरक्षा, किसान आय और निर्यात-सभी में ग्लोबल लीडर बन सकता है.
क्रॉपलाइफ इंडिया का यह विजन केवल एक आर्थिक लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह किसानों की आय, देश की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा से जुड़ा है. सरकारी नीतियों, वैज्ञानिक अनुसंधान, उद्योग और किसानों के सहयोग से भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि "मेक इन इंडिया, फॉर इंडिया एंड द वर्ल्ड" को साकार करेगा.
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