हरियाणा सरकार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी तरह अलर्ट है. खासकर एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और उसके आस-पास के जिलों में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार का उद्देश्य है कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को हर हाल में रोका जाए.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब के मोहाली में एक खास मॉनिटरिंग सेल बनाया है. इस सेल में दो अधिकारियों की नियुक्ति की गई है:
हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की रोकथाम के लिए 6 लाख 47 हजार 696 किसानों की पहचान की है. ये वे किसान हैं जो हॉटस्पॉट गांवों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में शामिल होते हैं. इन किसानों की निगरानी के लिए 8,966 नोडल अधिकारियों की तैनाती की जा रही है.
हर नोडल ऑफिसर के साथ स्थानीय पुलिस और कृषि विभाग के कर्मचारी भी शामिल रहेंगे. यह टीमें हर शाम खेतों का दौरा करेंगी और देखेगी कि किसान पराली का निपटारा कैसे कर रहे हैं. हर दिन की रिपोर्ट जिला उपायुक्त (DC) के माध्यम से राज्य मुख्यालय तक पहुंचाई जाएगी.
फिलहाल 13 जिलों में 2,969 नोडल ऑफिसर की नियुक्ति हो चुकी है. बाकी 8 जिलों में जल्द ही अधिकारियों की तैनाती की जाएगी.
हरियाणा कृषि विभाग के महानिदेशक राज नारायण कौशिक ने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें की हैं. निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को समय पर पराली प्रबंधन के उपकरण उपलब्ध कराए जाएं. हालांकि, किसानों ने भी चेतावनी दी है कि अगर फसल कटाई के 5 दिनों के भीतर खेत से पराली नहीं उठाई गई, तो वे उसे जलाने के लिए मजबूर होंगे.
हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती से नजर रखने के लिए मजबूत योजना बनाई है. इससे एक ओर जहां प्रदूषण कम होगा, वहीं किसानों को भी जागरूक किया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसानों को समय पर सहायता और संसाधन मिलें, ताकि वे पराली जलाने के बजाय सही विकल्प चुन सकें.
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