भारत के हरित क्रांति के जनक और प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को साल 2024 में उनके कृषि क्षेत्र और किसानों के कल्याण में अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. वह भारत के पहले कृषि वैज्ञानिक थे जिन्हें इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया था. स्वामीनाथन ने देश को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने, आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और किसानों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बतौर टीचर, रिसचर, इनोवेटर और एक पॉलिसी मेकर के तौर पर उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. आज उनकी पुण्यतिथि है और इस मौके पर आज आपको बताते हैं कि 22 साल पहले उन्होंने किस एक ऐसी चीज के बारे में बताया था जो आज तक किसानों के लिए कारगर है.
स्वामीनाथन के मार्गदर्शन में कई स्टूडेंट्स, रिसर्चर्स और किसानों के समर्थक बने और उन्होंने भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. स्वामीनाथन की सोच ने 'एवरग्रीन रेवोल्यूशन' जैसी अवधारणा को जन्म दिया. यह वह ख्याल था जिसमें सतत उत्पादन और पर्यावरण की सुरक्षा दोनों को ही प्राथमिकता दी गई थी. साल 1990 के दशक में उन्होंने 'एवरग्रीन रेवोल्यूशन' इस शब्द को जन्म दिया था. 25 अगस्त 2003 में वह उत्तराखंड के पंतनगर में गेहूं अनुसंधान की शताब्दी पर आयोजित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम मेमोरियल लेक्चर में मुख्य अतिथि थे. यहीं पर उन्होंने गेहूं रिसर्च के ऐतिहासिक मील के पत्थर का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने आगाह किया कि देश को पिछली उपलब्धियों पर संतुष्ट नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने बायो-डायवर्सिटी, क्लाइमेट चेंज और GMOs जैसी चुनौतियों पर किसानों और वैज्ञानिकों को ध्यान देने का संदेश दिया.
एवरग्रीन रेवोल्यूशन, दरअसल प्रो. एमएस स्वामीनाथन की एक बहुत ही महत्वपूर्ण सोच थी. यह सोच हरित क्रांति से आगे की बात करती है. स्वामीनाथन ने इसे 'हरित क्रांति का अगला कदम' कहा. उन्होंने उदाहरण दिया कि सिर्फ गेहूं और चावल की पैदावार बढ़ाना ही जरूरी नहीं है. बल्कि सतत उत्पादन और पारिस्थितिकी संतुलन भी उतना ही महत्वपूर्ण है. यह विचार दुनिया के लिए भी मॉडल बन गया. दो दशक पहले आए उनके इस विचार को एक्सपर्ट्स ने भी सराहा था. उनका मानना था कि इससे पर्यावरण से जुड़ी खेती के साथ ही खाद्य सुरक्षा दोनों एक साथ संभव हैं.
जब स्वामीनाथन ने एवर्सग्रीन रेवोल्यूशन में सतत उत्पादन कर बात की तो उनका इरादा साफ था बगैर रासायनिक उर्वरक के उत्पादन बढ़े. वह मानते थे कि कि हरित क्रांति ने फसल उत्पादन बढ़ाया, लेकिन उस दौरान भारी रासायनिक उर्वरकों और पानी का उपयोग हुआ. स्वामीनाथन ने कहा कि उत्पादन बढ़ाना है लेकिन मिट्टी, जल और पारिस्थितिकी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. एवर्सग्रीन रेवोल्यूशन का मकसद है कि हर मौसम, हर वर्ष फसल उत्पादन बढ़ता रहे, यानी उत्पादकता हमेशा हरित रहे.
वह मानते थे कि ऐसा करके किसानों की आय तो बढ़ाई जा सकेगी और साथ ही साथ उनकी भलाई भी सुनिश्चित हो पाएगी. वहीं एवर्सग्रीन रेवोल्यूशनपारंपरिक बीजों और स्थानीय किस्मों को बचाने की बात भी की ताकि भविष्य में फसल विविधता बनी रहे. उन्होंने कहा था कि इसका मकसद है कि भारत या दुनिया कभी खाद्य संकट का सामना न करे लेकिन यह बिना प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किए हो.
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