हाल ही में पंजाब के कई जिलों में आई बाढ़ ने कृषि समुदाय को गहरी संकट की स्थिति में डाल दिया है. सरकार ने लगभग दो लाख हेक्टेयर, यानी करीब पांच लाख एकड़ फसलों को हुए नुकसान को स्वीकार किया है. हालांकि, किसानों को हुआ वास्तविक आर्थिक नुकसान इससे कहीं अधिक गंभीर माना जा रहा है. माना जा रहा है कि किसानों को 5,000 करोड़ से 6,000 करोड़ रुपये या उससे भी ज्यादा का नुकसान हुआ है. अधिकतर प्रभावित क्षेत्र में धान की खेती थी, जो राज्य की प्रमुख खरीफ फसल है. कुछ क्षेत्रों में गन्ना, मक्का और सब्जियां जैसी बाकी फसलें भी उगाई जाती हैं और वे भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक एकड़ धान की खेती में बीज, उर्वरक, श्रम और बाकी खर्चों सहित कुल इनपुट लागत करीब 15,000 से 20,000 रुपये आती है. अनुमानित उत्पादन करीब 30 क्विंटल प्रति एकड़ है. साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय होने के कारण, फसल का सकल मूल्य लगभग 71,940 रुपये होता है. अगर बाढ़ के कारण पूरी फसल नष्ट हो जाती है, तो यह किसानों के लिए बड़ा नुकसान होता है.
किराए पर खेती करने वाले किसानों, जो प्रति फसल एक एकड़ जमीन के लिए लगभग 25,000 रुपये चुकाते हैं, के लिए यह नुकसार बहुत ज्यादा भारी है. निवेश और खोई हुई आय को मिलाकर उनका प्रति एकड़ कुल नुकसान लगभग 1.15 लाख रुपये तक पहुंच जाता है. पंजाब के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि करीब पांच लाख एकड़ प्रभावित होने के अनुमान के साथ, कुल फसल से संबंधित नुकसान 4,500 करोड़ से 5,000 करोड़ रुपये के बीच है. यह जमीन के मालिकों और किराएदारों,दोनों ही तरह के किसानों को प्रभावित करता है.
राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर प्रभावित क्षेत्र का कुछ हिस्सा ज्यादा कीमत वाली फसलों जैसे सब्जियां और गन्ना में है, तो नुकसान 6,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. एक एकड़ गन्ने के खेत से सकल नुकसान करीब 1.60 लाख से 1.75 लाख रुपये अनुमानित है, और सब्जियों की फसल में प्रति एकड़ नुकसान 2 लाख से 3 लाख रुपये तक हो सकता है. अधिकारी की मानें तो ये न्यूनतम नुकसान हैं लेकिन वास्तविक नुकसान इससे कहीं ज्यादा हो सकता है.
पंजाब सरकार ने प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की है जो कुल मिलाकर करीब 1,000 करोड़ रुपये होती है. इसके अलावा, राज्य ने केंद्र से अनुरोध किया है कि यह राशि कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ाई जाए. बाढ़ प्रभावित पांच लाख एकड़ के लिए रबी सीजन की तैयारी के तहत मुफ्त गेहूं के बीज वितरण की भी घोषणा की गई है.
कृषि विशेषज्ञ और किसान संघ बड़े उपायों की मांग कर रहे हैं जिसमें मौजूदा कृषि ऋणों पर ब्याज माफी, मशीनरी प्रतिस्थापन के लिए विशेष पैकेज और मिट्टी को फिर से जिंदा करने के लिए मदद शामिल हैं. जैसे-जैसे रबी की बुआई का समय नजदीक आता है, प्रभावित खेतों को पुनर्वासित करना और भी जरूरी हो गया है. पंजाब कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा विशेष गिरदावरी चल रही है. अभी तक अनुमानित नुकसान लगभग 13,000 करोड़ रुपये है, जो मूल्यांकन के बाद और बढ़ सकता है.
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