कैथल की उपमंडल अधिकारी प्रीति ने शुक्रवार को अधिकारियों को आदेश दिया कि वे जमीनी स्तर पर पूरी समन्वय के साथ काम करें ताकि इस बार जिले में कोई भी पराली जलाने की घटना न हो. उन्होंने साफ कहा कि अगर कोई भी किसान पराली जलाने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी.
डीसी ने कहा कि केवल किसान ही नहीं, बल्कि गांव के सचिव, पटवारी, थाना प्रभारी, उप निदेशक कृषि और एसडीएम भी जिम्मेदार ठहराए जाएंगे. इससे अधिकारियों में जवाबदेही बनेगी और वे ज्यादा सतर्क रहेंगे.
डीसी ने बैठक में बताया कि पिछले साल जिले में 194 पराली जलाने के मामले सामने आए थे. इस साल ऐसा एक भी मामला नहीं होना चाहिए. अगले 3-4 दिनों में सभी अधिकारी उन गांवों का दौरा करें, जहां पिछले साल यह समस्या ज्यादा थी.
पुलिस और प्रशासन की टीम मिलकर गांवों में जाएंगे, जुर्माना लगाएंगे, FIR दर्ज करेंगे और राजस्व रिकॉर्ड में लाल निशान लगवाएंगे. थाना प्रभारी को शाम की गश्त बढ़ाने और जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं.
कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पराली जलाने वाले प्रभावित गांवों में जागरूकता शिविर आयोजित करें. किसानों को सरकार की प्रति एकड़ 1200 रुपये की सहायता और पराली प्रबंधन के लिए मशीनों की उपलब्धता के बारे में सूचित करें. साथ ही समय पर बेलर और अन्य उपकरण उपलब्ध कराएं.
पंचायत अधिकारियों को भी कड़ी चेतावनी दी गई है कि अगर वे अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाएंगे तो उनके खिलाफ पंचायती राज अधिनियम की धारा 51 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
एसपी उपासना यादव ने सभी थाना प्रभारियों को FIR दर्ज करने में कोई देरी न करने, शाम की गश्त बढ़ाने और कंट्रोल रूम से प्राप्त अलर्ट पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
कैथल जिला प्रशासन की यह पहल पराली जलाने को पूरी तरह खत्म करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है. सभी अधिकारियों को मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करना होगा ताकि प्रदूषण कम हो और किसानों को भी सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले.
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