जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में टैक्स स्लैब को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं. केंद्र सरकार ने GST के 12 और 28 फीसदी टैक्स स्लैब को हटा दिया है. अब 05 फीसदी, 18 फीसदी और 40 फीसदी का स्लैब ही बचा है. कृषि क्षेत्र की अधिकांश चीजों को अब 5 फीसदी के दायरे में ला दिया गया है. सरकार की इस घोषणा के बाद किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है. खेती पर उनकी लागत कम होगी. किसानों की पुरानी मांग रही है कि कृषि क्षेत्र को कम टैक्स के दायरे में रखा जाए. हालांकि, केमिकल पेस्टिसाइड पर किसानों को 18 फीसदी जीएसटी ही देना होगा. सरकार ने किसानों और इंडस्ट्री की इस मांग को नहीं माना. सिर्फ बायो पेस्टिसाइड पर जीएसटी घटाया गया है.
कृषि यंत्र किसानों के बड़े साथी हैं. इसमें सबसे बड़ा रोल ट्रैक्टर का माना जाता है. बैलों से खेती करने का जमाना लगभग खत्म हो चुका है. ऐसे में अब ट्रैक्टर किसानी की नई पहचान बनकर उभरा है. ट्रैक्टर के बिना खेती की कल्पना भी मु्श्किल हो गई है. कृषि यंत्रों के बढ़ते दामों को लेकर किसान हमेशा चिंता में रहा है. आपको बता दें कि जीएसटी स्लैब में बदलाव के बाद 1800 सीसी से कम वाले ट्रैक्टरों पर जीएसटी घटकर 5 फीसदी हो जाएगी. आपको बता दें कि पहले इन ट्रैक्टरों को 18 फीसदी जीएसटी वाले स्लैब में रखा गया था. ट्रैक्टर के अलावा ट्रैक्टर के टायर और ट्यूब, ट्रैक्टरों के लिए हाइड्रोलिक पंप और कई अन्य ट्रैक्टर पुर्जे भी सस्ते हो जाएंगे. सरकार के इस फैसले के बाद छोटे किसानों को भी लाभ देखने को मिलेगा. उन्हें ट्रैक्टर पर कम खर्च करना पड़ेगा.
अगर आप किसान हैं तो सिंचाई का महत्व अच्छी तरह से समझते होंगे. आपको बता देते हैं कि सरकार की ओर से GST स्लैब में किए गए बदलावों में मॉडर्न इरिगेशन तकनीक को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है. सरकार की ओर से लगातार ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन को प्रमोट किया जा रहा है जिससे पानी की बचत हो और पौधों को जरूरी मात्रा में पानी मिल सके. इसके लिए 15 एचपी से कम वाले फिक्स्ड स्पीड डीजल इंजन, कटाई या थ्रेसिंग मशीनरी, कंपोस्टिंग मशीन आदि को भी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी टैक्स स्लैब में लाया गया है. जिसके बाद इनकी कीमतों में बड़ी कटौती हो सकती है.
उर्वरक उत्पादन के लिए प्रमुख कच्चे माल के दर में भी कटौती की गई है. अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसी चीजों को भी 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी टैक्स स्लैब में डाला गया है. इससे उत्पादन लागत में कमी से कंपनियों को किसानों पर मूल्य की बढ़ोतरी का बोझ डालने से बचाने में मदद मिलती है. जिससे उर्वरक किफायती रहते हैं और मांग स्थिर रहती है. इसके अलावा 12 जैव कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर भी 12 फीसदी जीएसटी हटाकर 05 फीसदी स्लैब लागू किया गया है.
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जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के बाद टैक्स की दरों में बदलाव करते हुए प्रोसेस्ड फूड्स में भी बदलाव किए गए हैं. फल-सब्जियों को प्रोसेस करके बनाई गई चीजों को भी 12 फीसदी टैक्स के दायरे से निकाल कर 05 फीसदी टैक्स के दायरे में लाया गया है. इससे किसान उत्पादक संगठनों और लघु उद्योगों को फायदा मिलेगा, जिससे उनकी आय में भी सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है.
डेयरी प्रोडक्ट्स में भी टैक्स की दरों में बदलाव किया है. सरकार ने रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले मिल्क प्रोडक्ट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स को 12 फीसदी स्लैब से निकाल कर 05 फीसदी स्लैब के दायरे में ला दिया है. इसके बाद से आवश्यक प्रोटीन और वसा स्रोतों को परिवारों के लिए अधिक किफायती बनाकर पोषण सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है.
जलीय कृषि यानी कि तैयार या संरक्षित मछली पर कर की दर में भी कमी देखी गई है. इससे देश भर में जलीय कृषि, विशेष रूप से मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा प्राकृतिक शहद में भी मधुमक्खी पालकों, आदिवासी समुदायों और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को सीधा लाभ होगा. इन चीजों में भी 05 फीसदी जीएसटी लागू किया जाएगा.
खेती किसानों को बड़े पैमाने में लाभ दिलाने के लिए सरकार की ओर से सौर ऊर्जा और माल वाहक वाहनों की खरीदी पर भी टैक्स दरों में कटौती की गई है. आपको बता दें कि सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगा. इसके अलावा कामर्शियल माल वाहन (ट्रक, डिलीवरी वैन, आदि) को 28 फीसदी टैक्स के दायरे को कम कर 18 फीसदी स्लैब में लाया गया है. इन वाहनों की बीमा दर को भी 12 फीसदी स्लैब से निकाल कर 05 फीसदी स्लैब में लाया गया है. इससे माल वाहक वाहनों को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे कृषि उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में रफ्तार आएगी.
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