गेहूं और चावल की महंगाई करने के लिए सरकार FCI के जरिये खुले बाजार में अनाज बेच रही है. सरकार ने इसके लिए खास तरह की स्कीम शुरू की है जिसका नाम है ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS). ओएमएसएस की मदद से एफसीआई हर हफ्ते गेहूं और चावल की नीलामी करता है. इस स्कीम का मकसद यही है कि खुले बाजार में अनाजों की सप्लाई बढ़ेगी तो दाम का दबाव कम होगा और लोगों को सस्ते में गेहूं-चावल मिलेंगे. एक-दो दिन पहले इस स्कीम के दो राउंड में अनाजों की नीलामी की गई है जिसमें गेहूं की बिक्री तो अच्छी हुई, लेकिन चावल के खरीदार कम रहे. इस स्कीम में 31 रुपये किलो के भाव से चावल बिक रहा है जिसे खरीदने वाले लोग कम हैं.
देश में फैले 251 अलग-अलग डिपो में एफसीआई गेहूं और चावल की नीलामी कर रहा है. अभी खुले बाजार में चावल के साथ गेहूं और आटे का भाव तेजी से बढ़ा है. खुदरा भाव में हाल के दिनों में बढ़ोतरी देखी गई है. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल्स स्कीम की शुरुआत की है जिसमें हर हफ्ते एफसीआई अनाजों की नीलामी करता है. इस नीलामी में व्यापारी थोक में गेहूं-चावल खरीदते हैं. नियम के मुताबिक कोई व्यापारी अधिक से अधिक 100 टन तक अनाज खरीद सकता है.
ये भी पढ़ें: Paddy variety : ऊसर भूमि में भी धान की इस किस्म से होती हैं भरपूर पैदावार, बीज लेने के लिए मची है होड़
सरकार का मानना है कि 100 टन की लिमिट निर्धारित रखने से अनाज की जमाखोरी नहीं होगी और गेहूं-चावल का स्टॉक बाजारों में पहुंचेगा. इससे सप्लाई दुरुस्त होगी और गेहूं-चावल, आटे का भाव नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी. हालांकि 100 टन की लिमिट के खिलाफ व्यापारियों में नाराजगी है. उनका कहना है कि इसमें बिचौलिये अनाज खरीद रहे हैं और बाजारों में बेचकर बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. एक व्यापारी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि न कोई छोटी आटा चक्की का मालिक एफसीआई से गेहूं खरीद पा रहा है और न ही कोई बड़ा आटा मिल मालिक. व्यापारी ने कहा, किसी बड़े आटा मिल मालिक को हर महीने औसतन 2000-3000 गेहूं की जरूरत होती है, जबकि उसे नीलामी में अधिक से अधिक 400 टन गेहूं ही मिल पा रहा है.
एफसीआई की नीलामी में दो रेट पर गेहूं की बिक्री हो रही है. पहली क्वालिटी का गेहूं 2150 रुपये और दूसरी क्वालिटी का गेहूं 2135 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है. दूसरी ओर खुले बाजार में गेहूं का औसत होलसेल भाव 2300 से 2350 रुपये क्विंटल तक चल रहा है. होलसेल के रेट से सरकारी गेहूं का भाव कम होने के बावजूद एफसीआई की नीलामी तेजी नहीं पकड़ पा रही है क्योंकि व्यापारी 100 टन की लिमिट को सही नहीं मान रहे हैं. दूसरी ओर उनकी शिकायत है कि गेहूं के दाम में अंतर का फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: Punjab: गेहूं-धान फसली चक्र के बीच किसान कर रहे हैं मक्के की खेती, एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को यह पसंद नहीं, जानें क्यों?
चावल की बिक्री को लेकर चौंकाने वाली बात ये रही कि पूरे देश में केवल चार व्यापारियों ने ही नीलामी में हिस्सा लिया है. इन चार में दो महाराष्ट्र से और एक-एक केरला और कर्नाटक के खरीदार हैं. एफसीआई का चावल 3110 रुपये प्रति क्विंटल के रेट से बिक रहा है जबकि सरकार ने इसका रिजर्व प्राइस 3100 रुपये प्रति क्विंटल रखा है. लेकिन इस दाम पर चावल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today