केंद्र सरकार ने तुअर दाल की आपूर्ति बरकरार रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए शुल्क मुक्त आयात को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है. बीते साल की तुलना में इस साल मामलू उत्पादन संभावनाओं के चलते राज्य सरकार ने मांग पूरी करने के लिए यह फैसला लिया है. एमएसपी में बढ़ोत्तरी के चलते और मॉनसूनी बारिश अच्छी होने के चलते खरीफ सीजन में अरहर दाल का बुवाई क्षेत्रफल बढ़ा है. लेकिन, सरकार कीमतों को नीचे बनाए रखने और महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए आयात की मंजूरी दी है.
केंद्र सरकार ने मंगलवार को तुअर यानी अरहर दाल के शुल्क मुक्त आयात को एक साल के लिए बढ़ाकर मार्च 2026 तक कर दिया है. अल नीनो मौसम पैटर्न के चलते तुअर के घरेलू उत्पादन में गिरावट के बीच शुल्क मुक्त आयात को मार्च 2025 तक बढ़ाया गया था. अब केंद्र सरकार ने इसे अगले साल तक के लिए बढ़ा दिया है. व्यापार अनुमानों के अनुसार इस वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक तुअर आयात की उम्मीद है.
शुल्क मुक्त आयात फैसले से खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद तो मिलेगी ही मांग के अनुरूप आपूर्ति भी करने में आसानी होगी. दालों की महंगाई दर बीते माह दिसंबर 2024 में 3.83 फीसदी दर्ज की गई है. आने वाले महीनों में दाल की महंगाई दर में बढ़ोत्तरी की आशंका है. 20 जनवरी 2025 को तुअर दाल का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 152 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया है, जो एक साल पहले की तुलना में 1 फीसदी अधिक है.
केंद्र खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति बढ़ाने की रणनीति अपना रहा है. क्योंकि हाल की गिरावट के बावजूद दालों की खुदरा कीमतें अभी भी ऊंची हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में तुअर की खुदरा कीमतें सालाना आधार पर लगभग 10 फीसदी कम हैं, और राजस्थान, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, चंडीगढ़ आदि में लगभग 10-20 फीसदी अधिक हैं.
तुलर दाल की खुदरा कीमतें सरकार के सहज स्तर से ऊपर बनी हुई हैं. घरेलू व्यापार और उद्योग भी उम्मीद कर रहे थे कि केंद्र तुअर के लिए मौजूदा आयात नीति को जारी रखेगा. अखिल भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के अनुसार शुल्क मुक्त आयात जारी रखने की उम्मीद थी. पिछले साल भारत का तुअर उत्पादन 34 लाख मीट्रिक टन था, जो इस साल मामूली रूप से बढ़कर 35 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है. हालांकि, वित्त वर्ष 2021 में 43 लाख मीट्रिक टन और वित्त वर्ष 2022 में 42 लाख मीट्रिक टन तुअर उत्पादन से कम है.
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