गाजर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है. गाजर की पैदावार कच्चे तौर पर खाने के लिए की जाती है. ठंड के दिनों में दो-तीन महीनों के लिए बाजारों में गाजर की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसमें अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं जिस वजह से इसका इस्तेमाल अचार, मुरब्बा, जूस, सलाद, सब्जी और गाजर के हलवे को अधिक मात्रा में बनाने के लिए किया जाता है. इसकी मांग को देखते हुए खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. गाजर की बुवाई के लिए अगस्त से सितंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. भारत के लगभग सभी राज्यों में गाजर की खेती की जाती है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर गाजर की किस्में जिसकी खेती कर किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
अगर आप इस मॉनसून में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप गाजर की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा केसर, पूसा मेघाली, पूसा आसिता, नैंटस और हिसार रसीली किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
हिसार रसीली: गाजर की इस किस्म की बाजार में सबसे ज्यादा मांग रहती है. इसका रंग गहरा लाल होता है. इसका आकार लंबा और पतला होता है. ये किस्म किसानों के बीच भी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इस किस्म का गाजर 85 से 95 दिनों में तैयार हो जाता है. वहीं इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.
पूसा केसर: यह गाजर की एक खास किस्म है. इस किस्म से पैदा होने वाले गाजर का आकार छोटा और रंग गहरा लाल होता है. ये किस्म बीज रोपाई के लगभग 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं यह किस्म पैदावार में भी बेहतर होती है.
पूसा मेघाली: गाजर की यह एक संकर किस्म है, जिसके फलों में केरोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है. इससे निकलने वाली गाजर का गूदा नारंगी रंग का होता है. इस क़िस्म को तैयार होने में लगभग 100 से 110 दिन का समय लग जाता है.
पूसा आसिता: गाजर की यह किस्म मैदानी क्षेत्रों में अधिक पैदावार देने के लिए काफी मशहूर है. इस किस्म के गाजर का रंग काला होता है. इस किस्म को तैयार होने में 90 से 100 दिन का समय लग जाता है.
नैंटस: इस किस्म की सबसे अच्छी बात ये है कि ये खुशबूदार होता है. इस किस्म को तैयार होने में 110 दिन का समय लग जाता है. इस किस्म का गाजर आकार में बेलनाकार और रंग में नारंगी होता है. इसमें बाकी किस्मों की तुलना में कम पैदावार प्राप्त होती है.
गाजर की खेती करने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए. गाजर के बीजों की बुवाई बीज के रूप में की जाती है. इसके लिए समतल भूमि में बीज का छिड़काव कर दिया जाता है. वहीं एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन छह से आठ किलो बीज की आवश्यकता होती है. इन बीजों को खेत में लगाने के बाद खेत की हल्की जुताई कर दी जाती है.
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