बिहार में मंडी व्यवस्था को भंग हुए करीब ढाई दशक का समय बीत चुका है. हालांकि, किसानों के लिए बेहतर बाजार, फल, सब्जी सहित अन्य कृषि उत्पादों का भंडारण तरीके हो, इसके लिए कृषि विभाग अब आधुनिक सुविधाओं से युक्त राज्य के विभिन्न जिलों में कृषि बाजार प्रांगणों (मंडियों) का निर्माण कर रहा है. बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार किसानों की आर्थिक समृद्धि और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है. इसी कड़ी में कृषि विपणन निदेशालय के अंतर्गत राज्य के कृषि बाजार प्रांगणों का आधुनिकीकरण और समुचित विकास चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है.
कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कृषि बाजार समिति को आधुनिकता से युक्त बनाने के पीछे का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना, बाजार की आसान व्यवस्था उपलब्ध कराना और कृषि उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) और मूल्य संवर्धन की बेहतर सुविधा देना है.
उन्होंने आगे कहा कि किसानों को सुरक्षित और आधुनिक बाजार व्यवस्था देने, कृषि उत्पादों की क्वालिटी बढ़ाने और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कृषि मार्केटिंग निदेशालय का गठन किया गया है. यह निदेशालय किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों और निर्यातकों के लिए एक मजबूत बाजार प्लेटफॉर्म तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहा है.
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 12 प्रमुख कृषि उत्पादन बाजार प्रांगणों (मंडियों) - गुलाबबाग (पूर्णिया), मुसल्लहपुर (पटना), आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर और मोहनिया के समुचित विकास और आधुनिकीकरण के लिए 748.46 करोड़ रुपये की लागत से योजनाएं मंजूर की गई हैं. वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9 अन्य कृषि बाजार समिति के प्रांगण सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा और बिहटा के विकास के लिए 540.61 करोड़ रुपये की लागत से योजनाएं चलाई जा रही हैं.
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में तैयार हो रहे बाजार समिति आधुनिक आधारभूत संरचना से विकसित होंगे, जिसमें वेंडिंग प्लेटफॉर्म, दुकानों का निर्माण, वे-ब्रिज, जल निकासी प्रणाली, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार, केला मंडी, आंतरिक सड़कों का निर्माण, सोलर पैनल, कर्मचारी कैंटीन और अपशिष्ट निपटान संयंत्र (कम्पोस्टिंग प्लांट) शामिल हैं. इन सुविधाओं से न केवल किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी होगी, बल्कि व्यापारियों और उद्यमियों को भी एक संगठित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित वातावरण मिलेगा.
कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि कृषि बाजार तैयार होने के बाद खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा. इसके अलावा, केंद्र सरकार की ई-नाम (e-NAM) योजना के माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादों को राज्य और देश के अन्य हिस्सों में ऑनलाइन बेच सकते हैं. इस तरह की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से राज्य में कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और निर्यात में भी तेजी आएगी. इससे बिहार खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
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