तेलंगाना में किसानों को मिलेगा भू-दार कार्डतेलंगाना के किसानों के लिए जल्द ही एक बड़ा सर्वे शुरू होने जा रहा है. इस सर्वे के जरिये प्रदेश सरकार किसानों की जमीन के मालिकाना हक के लिए एक स्पेशल डिजिटल पहचान पत्र जारी करेगी. इस पहचान पत्र को भू-धार कार्ड नाम दिया गया है. यहां भू का मतलब भूमि और धार का संबंध आधार से जुड़ा है. यानी भू-धार कार्ड आधार कार्ड की तरह की काम करेगा जिसमें किसानों की पूरी जानकारी दर्ज होगी. इसके लिए सर्वे की टीम बहुत जल्द खेतों का दौरा करेगी. यह कार्ड आधार की तरह ही काम करेंगे, लेकिन खेती के रिकॉर्ड के लिए.
शुरुआत में, सरकार तेलंगाना के एक करोड़ किसानों को भू-धार कार्ड देने की योजना बना रही है. सरकार ने सर्वे के लिए हर जिले के 70 गांवों, यानी कुल 2,310 गांवों का चयन किया है. इस सर्वे को "आनंद सर्वेक्षण" नाम दिया गया है. हालांकि एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जब सरकार के पास हर किसान की जमीन का रिकॉर्ड पहले से है तो उसे अलग से खेत-खेत में सर्वे कराने की क्यों जरूरत पड़ रही है. तो इसका जवाब है कि मौजूदा रिकॉर्ड अशुद्धियों और गलतियों से भरे हुए हैं जिन्हें ठीक करने की तैयारी है.
सरकार के पास कई जमीन के वास्तविक मालिकों के बारे में सटीक जानकारी का अभाव है. गांव और जमीनी स्तर पर स्थिति अक्सर गड़बड़ होती है, कई जमीन विवादों और अदालती मामलों में उलझी रहती है. इस समस्या को निपटाने के लिए, सरकार उन किसानों को फ्री में भू-धार कार्ड जारी करेगी जिनकी जमीन की जानकारी सही है. इसके लिए 3,450 सर्वेक्षकों की एक टीम तैयार की गई है और वे जल्द ही फील्डवर्क शुरू करेंगे.
सर्वे एक महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद भू-धार कार्ड जारी करने के लिए डिजिटल डेटा तैयार हो जाएगा. सर्वे करने वाले कर्मचारी घर-घर जाकर किसानों से बातचीत करेंगे और उनकी जमीन का सर्वे करेंगे. वे खेतों का सटीक पता लगाएंगे, आसपास की बातों जैसे घर, पेड़, पानी के स्रोत और सड़कें आदि को नोट करेंगे और इन डिटेल्स को सावधानीपूर्वक दर्ज करेंगे.
सर्वेक्षक नए आंकड़ों की तुलना मौजूदा रिकॉर्ड से करेंगे. यदि उसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो वे किसानों से डिटेल जानकारी मांगेंगे, जिन्हें जमीन का मालिकाना हक दिखाने के लिए पट्टे का पासबुक जैसे सबूत देने होंगे.
सर्वे के लिए गांवों का चयन इसी सप्ताह अंतिम रूप दे दिया जाएगा और सर्वेक्षक अगले सप्ताह से अपना दौरा शुरू करेंगे. यदि सर्वेक्षण दिसंबर तक पूरा हो जाता है, तो सरकार जनवरी तक भू-धार कार्ड जारी करने की योजना बना रही है. ये कार्ड आकार में आधार कार्ड की तरह होंगे. यदि शुरू में कार्ड जारी करने के बाद बदलाव की जरूरत होती है, तो कार्ड को अपडेट किया जा सकता है. हालांकि शुरुआती कार्ड अस्थायी होंगे, लेकिन आगे चलकर फिर से सर्वे के बाद स्थायी कार्ड जारी किए जाएंगे.
माना जा रहा है कि तैयारियों के बावजूद चल रहे भूमि विवादों के कारण सर्वे पूरा करना आसान नहीं हो सकता है. सरकार का लक्ष्य बिना किसी विवाद के किसानों को पहले कार्ड जारी करना है. ऐसे में किसानों को अपने लैंड रिकॉर्ड की जानकारी जरूर देनी चाहिए और सर्वे के दौरान किसी भी मुश्किल से बचने के लिए प्रमाण देने के लिए तैयार रहना चाहिए.
सर्वेक्षक जो भी डेटा जुटाएंगे उन्हें भू-भारती पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. यह डेटा भविष्य में किसी भी जमीन संबंधी समस्या के निपटारे में मदद करेगा. यदि जमीन जब्त की जाती है, तो यह डेटा उन्हें उनके असली मालिकों को वापस करने में मदद करेगा. इसलिए, किसानों के लिए सर्वे में भाग लेना और भू-धार कार्ड पाना महत्वपूर्ण है, जो भविष्य में आधार कार्ड जितना ही भरोसेमंद होगा.
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