Crop Survey: रबी सीजन में न हो फर्जीवाड़ा!  सैटेलाइट रखेंगे किसानों के खेत पर नजर 

Crop Survey: रबी सीजन में न हो फर्जीवाड़ा!  सैटेलाइट रखेंगे किसानों के खेत पर नजर 

रबी सीजन के लिए प्रति एकड़ 6,000 रुपये की आर्थिक मदद की राशि जनवरी में, संक्रांति त्योहार के समय, सरकार द्वारा सैटेलाइट-आधारित खेती का डेटा मिलने और उसका विश्लेषण करने के बाद बांटी जाएगी. कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने कृषि विभाग के अधिकारियों को सैटेलाइट मैपिंग प्रक्रिया में तेजी लाने और जनवरी के पहले हफ्ते तक खेती वाली जमीनों पर एक पूरी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. 

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Crop Survey: रबी सीजन में न हो फर्जीवाड़ा!  सैटेलाइट रखेंगे किसानों के खेत पर नजर 

तेलंगाना में इन दिनों रबी सीजन जारी है और इस दौरान राज्‍य सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. सरकार ने चालू रबी सीजन के दौरान जमीन पर खेती की पुष्टि करने के लिए सैटेलाइट मैपिंग और दूसरी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. सरकार का मकसद ऐसा करके यह पक्का करना है कि रायथु भरोसा योजना के तहत आर्थिक मदद सिर्फअसली किसानों और उन जमीनों तक पहुंचे जिन पर सच में खेती हो रही है. सरकार के फैसले को फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है. 

मैपिंग में तेजी लाने का आदेश 

रबी सीजन के लिए प्रति एकड़ 6,000 रुपये की आर्थिक मदद की राशि जनवरी में, संक्रांति त्योहार के समय, सरकार द्वारा सैटेलाइट-आधारित खेती का डेटा मिलने और उसका विश्लेषण करने के बाद बांटी जाएगी. कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने कृषि विभाग के अधिकारियों को सैटेलाइट मैपिंग प्रक्रिया में तेजी लाने और जनवरी के पहले हफ्ते तक खेती वाली जमीनों पर एक पूरी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. 

सरकार को होगा क्‍या फायदा 

सरकार के अनुसार हाल ही में खरीफ सीजन के दौरान रायथु भरोसा योजना के तहत किसानों को करीब  9,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. अधिकारियों का अनुमान है कि रबी सीजन के दौरान लाभार्थी सूची से खेती के लायक नहीं और बंजर जमीनों को हटाने के लिए सैटेलाइट मैपिंग का इस्तेमाल करके सरकार कम से कम 2,000 करोड़ रुपये बचा सकती है. उम्मीद है कि इस कदम से पारदर्शिता भी बढ़ेगी और गलतियों या दुरुपयोग की गुंजाइश कम हो. 

कैसे होगा सारा प्रोग्राम 

सैटेलाइट मैपिंग प्रोजेक्ट को प्रो. जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीजेटीएसयू) के जरिए लागू किया जा रहा है. इसमें इटली की सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) एजेंसी से टेक्निकल सपोर्ट मिल रहा है. सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए दो साल की अवधि के लिए 9 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. साथ ही ऑपरेशनल खर्चों के लिए सालाना 40 लाख रुपये दिए जाएंगे. इस पहल के तहत पीजेटीएसयू और SAR हर महीने के पहले हफ्ते में सभी जिलों में सैटेलाइट सर्वे करेंगे और खेती वाली जमीनों और बिना खेती वाली जमीनों की जानकारी देते हुए समय-समय पर रिपोर्ट देंगे. 

अधिकारियों पर कम होगा 

अभी एग्रीकल्चर एक्सटेंशन ऑफिसर (एईओ) गांवों में खेती के खेतों का दौरा करने और एक खास मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए सर्वे नंबर के हिसाब से बोए गए एरिया और फसल टाइप की डिटेल्स अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि, सरकार को शिकायतें मिली हैं कि ज्‍यादा काम के बोझ के कारण, कुछ AEOs खेतों का फिजिकली इंस्पेक्शन किए बिना ही डेटा अपलोड कर रहे हैं. हर एईओ को अभी चार गांवों में फैली करीब 5,000 एकड़ जमीन को कवर करने का काम सौंपा गया है. इससे फील्ड लेवल पर वेरिफिकेशन करना मुश्किल हो जाता है.

तेलंगाना में 12,000 से ज्‍यादा ग्राम पंचायतें हैं जिन्हें 2,604 क्लस्टर में बांटा गया है. हर क्लस्टर के लिए एक एईओ नियुक्त किया गया है. इन अधिकारियों को पूरे राज्य में लगभग 1.5 करोड़ एकड़ कृषि भूमि का डिजिटल सर्वे करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. ज्‍यादा काम के बोझ के कारण, जमा किए गए डेटा में गड़बड़ियां पाई गईं, जिसके बाद सरकार ने सैटेलाइट-आधारित वेरिफिकेशन का सहारा लिया. 

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