छोटे और बड़े डेयरी व्यापार में अंतर बढ़ापिछले कुछ समय में FSSAI यानी खाद्य सुरक्षा विभाग के इंस्पेक्शन, लैब रिपोर्ट और जुर्माने की खबरें बहुत आ रही हैं. लोग इन पर अपनी राय दे रहे हैं. लेकिन अगर हम शोर से दूर देखें, तो असली बात ये है कि भारत का डेयरी सेक्टर अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. नियम साफ हो रहे हैं, उनका पालन सख्ती से हो रहा है, और अच्छे तरीके से व्यापार करने का स्तर बढ़ रहा है.
जो कंपनियां लंबे समय से सही तरीके से काम कर रही हैं, उनके लिए यह बदलाव नया नहीं है. ये बदलाव तो उनका इंतजार था.
जब लेबल और क्वालिटी सिस्टम स्पष्ट होते हैं, तो खरीदार को पता होता है कि दूध में कितना फैट है, मिलावट नहीं है और सही स्टोर करने पर इसकी शेल्फ लाइफ कितनी है. इससे खरीदार के मार्केटिंग, क्वालिटी और लीगल टीम को भी आसानी होती है. धीरे-धीरे इससे भरोसा बनता है और लंबे समय के लिए साझेदारी मजबूत होती है.
जब भी नियम कड़े होते हैं, छोटे व्यापारियों को मुश्किल होती है. लेकिन संगठित कंपनियों ने पहले ही इन चीज़ों में निवेश कर रखा है जैसे:
अब जब FSSAI नियम बढ़ाता है, तो ये कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं.
छोटे यूनिट्स के पास विकल्प हैं. कुछ बड़ी कंपनियों से जुड़ रहे हैं, कुछ सहकारी बना रहे हैं और कुछ छोटे स्तर पर ही रहेंगे. लेकिन कुल मिलाकर संगठित चैनल में आने वाला दूध बेहतर होता जा रहा है, और यह सभी के लिए फायदेमंद है.
सही कंपनियां रोजमर्रा में ये काम करती हैं:
ये सब आसान नहीं है और पैसे खर्च होते हैं, लेकिन इससे बाद में बड़े नुकसान से बचा जा सकता है जैसे रिजेक्टेड लोड, प्रोडक्ट रीकॉल या कॉन्ट्रैक्ट खोना.
अगले 5-10 साल में भारत के डेयरी मार्केट में दो हिस्से होंगे:
जो कंपनियां आज मजबूत सिस्टम रख रही हैं, उनके लिए नया प्रोडक्ट लॉन्च करना, निवेश लेना और विदेशों में काम करना आसान होगा.
FSSAI का काम खर्च नहीं है, बल्कि यह एक बीमा है. यह आपके व्यवसाय की सुरक्षा करता है, नुकसान कम करता है और व्यापार को स्थिर बनाता है.
ये भी पढ़ें:
ये सरकार देगी नारियल की खेती को बढ़ावा, केंद्र से मांगी 200 करोड़ रुपये की मदद
किसानों और चीनी मिलों के लिए पनप रहा ये बड़ा संकट, बढ़ सकता है गन्ने के पेमेंट का बका
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today