FSSAI की नई पहल- दूध और घी का भरोसा, कंपनियों के लिए नियम बन रहे अवसर

FSSAI की नई पहल- दूध और घी का भरोसा, कंपनियों के लिए नियम बन रहे अवसर

भारत का डेयरी सेक्टर अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. FSSAI नियमों का सख्ती से पालन, साथ ही दूध और घी की क्वालिटी, पारदर्शिता और सटीक रिकॉर्ड रखने पर ध्यान देने से संगठित कंपनियाँ मज़बूत हो रही हैं. सही नियमों का पालन करना अब सिर्फ़ एक कानूनी ज़रूरत नहीं रह गया है, बल्कि यह भरोसा बनाने, सुरक्षा सुनिश्चित करने और बिज़नेस में स्थिरता लाने का एक ज़रिया बन गया है.

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FSSAI की नई पहल- दूध और घी का भरोसा, कंपनियों के लिए नियम बन रहे अवसरछोटे और बड़े डेयरी व्यापार में अंतर बढ़ा

पिछले कुछ समय में FSSAI यानी खाद्य सुरक्षा विभाग के इंस्पेक्शन, लैब रिपोर्ट और जुर्माने की खबरें बहुत आ रही हैं. लोग इन पर अपनी राय दे रहे हैं. लेकिन अगर हम शोर से दूर देखें, तो असली बात ये है कि भारत का डेयरी सेक्टर अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. नियम साफ हो रहे हैं, उनका पालन सख्ती से हो रहा है, और अच्छे तरीके से व्यापार करने का स्तर बढ़ रहा है.

कंपनियों के लिए ये बदलाव कैसे फायदेमंद हैं

जो कंपनियां लंबे समय से सही तरीके से काम कर रही हैं, उनके लिए यह बदलाव नया नहीं है. ये बदलाव तो उनका इंतजार था.

  • खरीदार अब नियम पालन पर ध्यान क्यों दे रहे हैं
  • आज बड़ी रिटेल दुकानों, होटल, रेस्टोरेंट या एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के खरीदार सिर्फ कीमत और मात्रा नहीं देखते. अगर कभी दूध या घी में कोई गड़बड़ी दिखी, तो उनकी ब्रांड की छवि तुरंत खराब हो सकती है.
  • इसलिए अब किसान और कंपनियां फॉर्म भरने, दूध का सही रिकॉर्ड रखने, टेस्ट रिपोर्ट बनाने, ट्रांसपोर्ट के दौरान तापमान चेक करने और नियमों को बिना शॉर्टकट के फॉलो करने पर ध्यान दे रहे हैं.

पारदर्शिता से बढ़ती है भरोसेमंद व्यापार

जब लेबल और क्वालिटी सिस्टम स्पष्ट होते हैं, तो खरीदार को पता होता है कि दूध में कितना फैट है, मिलावट नहीं है और सही स्टोर करने पर इसकी शेल्फ लाइफ कितनी है. इससे खरीदार के मार्केटिंग, क्वालिटी और लीगल टीम को भी आसानी होती है. धीरे-धीरे इससे भरोसा बनता है और लंबे समय के लिए साझेदारी मजबूत होती है.

नए नियम संगठित कंपनियों के लिए फायदे लाते हैं

जब भी नियम कड़े होते हैं, छोटे व्यापारियों को मुश्किल होती है. लेकिन संगठित कंपनियों ने पहले ही इन चीज़ों में निवेश कर रखा है जैसे:

  • गांवों में बड़े कूलर
  • इन्सुलेटेड ट्रक
  • अपनी लैब
  • ERP सिस्टम जो हर लीटर दूध को ट्रैक करता है

अब जब FSSAI नियम बढ़ाता है, तो ये कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं.

छोटे यूनिट्स के पास विकल्प हैं. कुछ बड़ी कंपनियों से जुड़ रहे हैं, कुछ सहकारी बना रहे हैं और कुछ छोटे स्तर पर ही रहेंगे. लेकिन कुल मिलाकर संगठित चैनल में आने वाला दूध बेहतर होता जा रहा है, और यह सभी के लिए फायदेमंद है.

जिम्मेदार डेयरी कंपनियां क्या करती हैं

सही कंपनियां रोजमर्रा में ये काम करती हैं:

  • किसान के रिकॉर्ड कई साल तक रखती हैं
  • दूध के हर बैच को यूनिक कोड देती हैं
  • सभी टेस्ट और रीडिंग्स का ध्यान रखती हैं

ये सब आसान नहीं है और पैसे खर्च होते हैं, लेकिन इससे बाद में बड़े नुकसान से बचा जा सकता है जैसे रिजेक्टेड लोड, प्रोडक्ट रीकॉल या कॉन्ट्रैक्ट खोना.

भविष्य में डेयरी सेक्टर का रास्ता

अगले 5-10 साल में भारत के डेयरी मार्केट में दो हिस्से होंगे:

  • स्थानीय जरूरतों के लिए सस्ता और अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर
  • आधुनिक रिटेल, होटल, फूड सर्विस और एक्सपोर्ट के लिए संगठित सेक्टर

जो कंपनियां आज मजबूत सिस्टम रख रही हैं, उनके लिए नया प्रोडक्ट लॉन्च करना, निवेश लेना और विदेशों में काम करना आसान होगा.

FSSAI का काम खर्च नहीं है, बल्कि यह एक बीमा है. यह आपके व्यवसाय की सुरक्षा करता है, नुकसान कम करता है और व्यापार को स्थिर बनाता है.

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