आपने अपनी स्कूली किताबों में पढ़ा होगा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, क्योंकि यहां की अधिकांश आबादी खेती-किसानी के क्षेत्र में काफी सक्रिय है. यहां के हर राज्यों में आपको अलग-अलग प्रकार की फसलें देखने को मिल जाएंगी. लेकिन, इन फसलों को उगाने के लिए उपजाऊ मिट्टी की भी जरूरत होती है, जो फसलों को सही पोषण देकर उन्हें उगाने में मदद करती है, पर क्या आप जानते हैं कि किस प्रकार की मिट्टी को "काली मिट्टी" कहा जाता है? आइए जानते हैं इसका जवाब.
काली मिट्टी के बारे में लगभग आप सभी जानते ही होंगे, लेकिन किस प्रकार की मिट्टी को "काली मिट्टी" कहा जाता है? तो बता दें कि 'रेगुर मिट्टी' को काली मिट्टी कहा जाता है. इस रेगुर मिट्टी यानी काली मिट्टी में ह्यूमस, फ़ॉस्फोरस और अमोनिया की मात्रा ज्यादा होती है. यह मिट्टी दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों के टूटने से बनी है. इस मिट्टी में कपास की खेती सबसे अधिक होती है.
भारत में यह मिट्टी आपको महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मिल जाएगी. वहीं, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और ताप्ती नदियों के किनारों पर यह मिट्टी पाई जाती है. यह मिट्टी पानी को अधिक सोखती है, वहीं, सूखने पर इस मिट्टी में दरारें पड़ जाती हैं. इस मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहा जाता है.
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पौधों के विकास में काली मिट्टी का अहम योगदान होता है. इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की संतुलित मात्रा होती है. इस मिट्टी में आयरन, चूना, मैग्नीशियम और एलुमिना आदि पोषक तत्वों की अधिकता होती है, जिसके चलते फसलों में अलग से उर्वरकों के इस्तेमाल की जरूरत बहुत ही कम पड़ती है. साथ ही यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है.
विशेषज्ञों की मानें तो धान की बेहतर पैदावार के लिए काली मिट्टी बेस्ट मानी जाती है, क्योंकि इसमें पोषक तत्व और खनिजों की काफी मात्रा मौजूद होती है, जो धान की खेती के लिए बेहद जरूरी है. इसके अलावा मसूर, चना और तमाम दलहनी फसलों की खेती के लिए भी काली मिट्टी काफी उपयुक्त होती है.
काली मिट्टी में इन फसलों को उगाने के लिए ज्यादा तामझाम नहीं करना पड़ता. बात करें नकदी फसलों की तो काली मिट्टी में ज्वार, बाजरा जैसी फसलों के अलावा अलसी, सूरजमुखी, मूंगफली जैसी तिलहनी फसलें भी उगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
साथ ही काली मिट्टी को गन्ना, तंबाकू समेत सभी प्रकार की नकदी फसलों के लिए संजीवनी समान मानते हैं. काली मिट्टी में खेती करके बागवानी फसलों का भी क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं. इनमें आम, अमरूद और केले के अलावा खट्टे फल और सब्जी की फसलें भी शामिल हैं.
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