भारत में खाद्य तेल की खपत लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन और आयात के बीच संतुलन बनाना अभी भी चुनौती है. इस बीच, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने अपने मासिक पत्र में साफ कहा है कि अगर देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनना है तो लक्षित नीतियां, क्षेत्रवार प्रोत्साहन, सुनिश्चित खरीद समर्थन (Assured Procurement) और उपज सुधार कार्यक्रम बेहद जरूरी हैं. इस साल 15 अगस्त तक खरीफ तेलहन की बुवाई 178.64 लाख हेक्टेयर पर हुई है, जो पिछले साल के 185.38 लाख हेक्टेयर से करीब 6.74 लाख हेक्टेयर कम है.
गिरावट का सबसे बड़ा कारण किसानों का रुझान मक्का जैसी फसलों की ओर बढ़ना है, जहां एथनॉल और पशु आहार की मांग तेजी से बढ़ रही है. सोयाबीन और मूंगफली जैसी प्रमुख तिलहन फसलों में गिरावट दर्ज हुई है, जबकि अरंडी (Castor seed) में हल्की बढ़ोतरी देखी गई. SEA का कहना है कि यह स्थिति किसानों के आत्मविश्वास और तिलहन की लाभप्रदता दोनों को मजबूत करने की जरूरत को दिखाती है.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थाना ने कहा कि खाद्य तेल हमारी डाइट का अहम हिस्सा हैं. ICMR–NIN डाइटरी गाइडलाइंस 2020 के मुताबिक, रोजाना कुल कैलोरी का 20-30% हिस्सा तेल और फैट से आना चाहिए. इसका मतलब है प्रति व्यक्ति 20-50 ग्राम तेल रोजाना. स्वास्थ्य की दृष्टि से अनसैचुरेटेड फैट्स वाले तेल दिल, दिमाग और पोषण अवशोषण (nutrient absorption) के लिए फायदेमंद हैं. उद्योग का दायित्व है कि वे हेल्दी ऑयल ब्लेंड्स, फोर्टिफिकेशन, और साफ लेबलिंग के जरिए उपभोक्ताओं को सही विकल्प दें.
सरकार ने हाल ही में वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन एवं उपलब्धता (विनियमन) आदेश 2025 लागू किया है. यह 2011 के पुराने आदेश की जगह लेता है और डेटा पारदर्शिता, सटीकता और जवाबदेही को मजबूत करने के मकसद से लाया गया है. हालांकि, बड़ी कंपनियां आसानी से अनुकूलित हो सकती हैं, लेकिन छोटे और असंगठित उत्पादकों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और मासिक रिपोर्टिंग में दिक्कत आ सकती है. SEA का मानना है कि जब तक सरकार सभी छोटे यूनिट्स को इस सिस्टम में शामिल नहीं करती, तब तक पूर्ण अनुपालन संभव नहीं होगा.
हाल ही में अमेरिका ने भारतीय निर्यातों पर टैरिफ 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी तक करने का फैसला किया है. अस्थाना के अनुसार, यह कदम मुख्य रूप से भू-राजनीतिक कारणों से जुड़ा है, खासकर भारत-रूस के ऊर्जा और व्यापार संबंधों से, लेकिन इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था और खासकर खाद्य तेल क्षेत्र पर सीमित ही रहने की उम्मीद है. भारत की मजबूत घरेलू मांग, विविध व्यापार संबंध और बाजार की नींव इसे झटकों से बचाएंगे.
केंद्र सरकार ने पहले ही कीमतों को काबू में रखने के लिए कच्चा पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी 20 प्रतिशत से घटाकर 10 फीसदी कर दी है. इससे उपभोक्ताओं के लिए दाम काबू में रहेंगे और रिफाइनिंग कंपनियों का संचालन आसान होगा. अस्थाना ने कहा कि भारत अभी भी खाद्य तेल की जरूरत का बड़ा हिस्सा आयात करता है, लेकिन हमारी नीति साफ है, जिसमें घरेलू तेलहन उत्पादन बढ़ाना, प्रोसेसिंग क्षमता आधुनिक बनाना और वैल्यू चेन को मजबूत करना शामिल है.
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