कॉटन से इंपोर्ट ड्यूटी हटाने पर महाराष्ट्र के किसानों में उबाल, बताया किसान विरोधी फैसला

कॉटन से इंपोर्ट ड्यूटी हटाने पर महाराष्ट्र के किसानों में उबाल, बताया किसान विरोधी फैसला

केंद्र सरकार ने कपास की फसल से इंपोर्ट ड्यूटी हटाकर किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया है. सरकार का ये फैसला किसानों के खिलाफ है और इसका सीधा असर उनकी कमाई पर पड़ेगा. ऐसे में इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आए हैं. 

Advertisement
कॉटन से इंपोर्ट ड्यूटी हटाने पर महाराष्ट्र के किसानों में उबाल, बताया किसान विरोधी फैसलाकॉटन से हटा इंपोर्ट ड्यूटी

केंद्र सरकार खुद को किसान हितैषी बताने का कोई मौका नहीं छोड़ती है. देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपने हर भाषण में किसानों को पूजनीय और भगवान बताते हैं, लेकिन ऐसा क्यों होता है कि कभी पंजाब-हरियाणा तो कभी महाराष्ट्र के अन्नदाता सरकार की किसान विरोधी नीति-निर्देशों और फैसलों के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष करते नजर आते हैं. हम ये बातें इसलिए बता रहे क्योंकि केंद्र सरकार ने कपास की फसल से इंपोर्ट ड्यूटी हटाकर किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया है. सरकार का ये फैसला किसानों के खिलाफ है और इसका सीधा असर उनकी कमाई पर पड़ेगा. 

कपास से हटा इंपोर्ट ड्यूटी

बता दें कि केंद्र सरकार ने कपास की नई फसल बाजार में आने से एक महीने पहले ही इसके आयात शुल्क यानी इंपोर्ट ड्यूटी को समाप्त कर दिया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से 18 अगस्त की देर शाम जारी अधिसूचना के मुताबिक 19 अगस्त से कपास का आयात बिना इंपोर्ट ड्यूटी के किया जा सकता है. कॉटन पर 10 फीसदी सीमा शुल्क लगता है और इसके ऊपर 1 फीसदी का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस मिलाकर प्रभावी ड्यूटी 11 फीसदी बैठती है, जो अब समाप्त हो गई है. 

किसान कर रहे हैं प्रदर्शन

सरकार के इस फैसले ने किसानों की रोजी-रोटी और हक को मारने जैसा काम किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि आने वाले मार्केट सीजन में किसानों को कपास की बेहतर कीमत ना मिलने की आशंका अभी से दिखने लगी है. वहीं, कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी गई कपास की कीमतों में भी इस फैसले के चलते गिरावट देखी गई है. इसलिए इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आए हैं. 

किसानों को होगा नुकसान

महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि कीटों का प्रकोप, मजदूरों की कमी और खेती में लगातार बढ़ती लागत पहले से ही घाटे का सौदा साबित हो रही है. ऐसे में घरेलू बाजार में विदेशी कपास का दबाव और बढ़ गया तो भारतीय किसानों की फसल को मंडी में खरीदार तक नहीं मिलेंगे. अगर बाहर से सस्ता कपास बिना ड्यूटी के आ रहा है तो व्यापारी महंगे पर लोकल कपास भला क्यों खरीदेंगे. अंततः इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा. 

ट्रंप का टैरिफ जिम्मेदार

दरअसल, इस पूरे मामले की तह में ट्रंप का टैरिफ जिम्मेदार है जिसने भारत सरकार और यहां के किसानों को सोचने पर मजबूर किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी हाल में एकतरफा फैसला लेते हुए भारत पर 25 परसेंट का आयात शुल्क लगा दिया. साथ में 25 परसेंट की ड्यूटी और जोड़ दी. इस तरह, भारत के अधिकांश माल पर अमेरिका ने 50 परसेंट तक टैरिफ चस्पा कर दिया है. इस बीच, भारत ने कपास के आयात को जीरो ड्यूटी के साथ आयात की इजाजत दे दी है, जिसका सबसे बड़ा फायदा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को होगा जहां से बड़ी मात्रा में कपास भारत मंगाया जाता है.

सरकार का किसान विरोधी निर्णय

ट्रंप टैरिफ की मार से जूझ रहा भारत का टेक्सटाइल उद्योग कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग कर रहा था, क्योंकि अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ से इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचने की आशंका है. भारत ने उद्योग जगत की चिंता को देखते हुए कपास का आयात शुल्क पूरी तरह से जीरो कर दिया.  भारत सरकार का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार तनाव कम करने की दिशा में भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इससे अमेरिका के साथ बातचीत के नए रास्ते खुल सकते हैं. लेकिन किसान नेताओं का कहना है अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और व्यापारियों को खुश करने के लिए सरकार ने यह किसान विरोधी निर्णय लिया है. इस फैसले के बाद किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं. अब देखना यह होगा कि 30 सितंबर के बाद सरकार किसानों को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती है. 

POST A COMMENT