
पिंक ताइवान अमरूद की खेती कर किसान हाे रहे मालामाल (फोटो किसान तक)Pink Taiwan Guava Cultivating: बदलते वक्त के साथ लोग कहते हैं कि खेती अब फायदे का सौदा नहीं रहा. लेकिन इसको दरकिनार करते हुए मऊ जिले के कोपागंज ब्लॉक के एक किसान नरेंद्र राय ने ताइवानी पिंक वैरायटी के अमरूद की बागवानी शुरू की है. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले 1 बीघे जमीन में अमरूद के पौधे लगवाए हैं. इससे वो सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे है. किसान तक से बातचीत में किसान नरेंद्र राय ने बताया कि अभी 1 बीघे में अमरूद की खेती कर रहे थे, अब इससे बढ़ाकर 2 बीघे में करने जा रहे है.
सफल किसान नरेंद्र राय ने आगे बताया कि इसके लिए उन्होंने लखनऊ से ताइवानी पिंक वैरायटी के अमरूद के 267 पौधे मंगवा कर लगवाए. उन्होंने बताया कि एक पेड़ की कीमत 100 रुपये है. जबकि अमरूद की खेती में खेत को संवारने का झंझट नहीं रहता है. खेत में एक बार अमरूद का पेड़ लगाने पर 15-20 साल तक फल बेचकर लाभ कमाया जा सकता है.
किसान नरेंद्र राय बताते हैं कि अमरूद की खेती में शुरू के दिनों में केवल सिंचाई की जरूरत होती है. इसके अलावा इस खेती में कोई मेहनत नहीं होती है. करीब 6 महीने में ही यह पेड़ फल देने लगता है. इसके एक फल का वजन 300 से 400 ग्राम तक का होता है. अमरूद की इस बागवानी से हर साल 3 से 4 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. साथ ही बताया कि उनकी इस सफलता को देखते हुए आसपास के किसान भी इस खेती की सलाह लेने के लिए पहुंच रहे हैं. राय ने बताया कि एक किलो ताइवानी पिंक अमरूद की कीमत मेरे खेत में 40 रुपये है, जबकि फुटकर में 80 से 90 रुपये के बीच इसकी बिक्री होती है.
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मऊ जिले के कोपागंज ब्लॉक के निवासी नरेंद्र राय के मुताबिक, ये ताइवान पिंक वैरायटी का अमरूद है, जिसमें काफी मिठास होती है. इसके पौधे 6 महीने बाद ही फसल देना शुरू कर देते हैं और अमरूद अंगूर के गुच्छे की तरह खूब फलता है. इस अमरूद की खासियत ये है कि ये 12 महीने फल देता है.

इसमें लागत कम और मुनाफा बंपर है. उन्होंने बताया कि अमरूद की डिमांड 12 महीने रहती है, इसलिए मऊ के आसपास जिलों में इसकी सप्लाई की जाती है. व्यापारी खुद खेत में आकर अमरूद खरीद कर ले जाते है.
बीते 10 वर्षों से फलों की बागवानी करने वाले नरेंद्र राय ने बताया कि आज के युग में इंटरनेट ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. हर किसान इसके जरिए खेती के नए-नए गुर सिख रहे हैं और नए-नए किस्मों की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं. नरेंद्र राय ने सरकार की तरफ से कोई अनुदान नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि आने वालें एक महीने के अंदर हम आम्रपाली आम की बागवानी एक बीधे में शुरू करने जा रहे है.
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