पढ़िए गोरखपुर के इस युवा किसान की कहानी, सफेद चंदन की खेती से तैयार किया करोड़ों में कमाई का फॉर्मूला

पढ़िए गोरखपुर के इस युवा किसान की कहानी, सफेद चंदन की खेती से तैयार किया करोड़ों में कमाई का फॉर्मूला

सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है. अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है.

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पढ़िए गोरखपुर के इस युवा किसान की कहानी, सफेद चंदन की खेती से तैयार किया करोड़ों में कमाई का फॉर्मूलाअविनाश कुमार ने कहा कि सफेद चंदन की खेती में लागत कम और मुनाफा ही मुनाफा (फोटो-किसान तक)

White Sandalwood Farming: कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली 'सफेद चंदन' की खेती से किसान लॉन्ग टर्म में बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको कुछ साल तक इंतजार करना होगा. जी हां हम बात कर रहे हैं कि गोरखपुर जिले के जंगल सालिक ग्राम के रहने वाले अविनाश कुमार यादव की. जिन्होंने पूर्वांचल में सफेद चंदन की खेती की नींव रखी है. उनका मानना है कि आने वाले 10 सालों के बाद इससे हमें करोड़ों रुपये की इनकम होगी. उनकी इस पहल से जिले के काफी किसान अब सफेद चंदन की खेती करने लगे हैं.

इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से बातचीत में अविनाश कुमार यादव ने बताया कि सफेद चंदन की खेती करने का विचार मेरे मन में साल 2012 में आया था. प्रयोग के तौर पर 5 से 7 पौधा हमने अपने खेत में लगाया. उन्होंने कहा कि वो पौधे बहुत तेजी से बढ़ें. फिर मुझे लगा कि सफेद चंदन की खेती से आने वाले वाले में वक्त में बहुत बड़ा फायदा हो सकता हैं. इसी कड़ी में साल 2017-18 में हम कनार्टक से 50 सफेद चंदन के पौधा लेकर आए. एक पौधे की कीमत 200 रुपये थी. अविनाश बताते हैं कि मेरा बचपन से रुझान खेती-किसानी तरफ रहा है. इसलिए अब तक देश के 80 कृषि विज्ञान केंद्र और 25 कृषि विश्वविद्यालय का दौरा करके खेती के नई-नई तकनीक की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि अपने खेत में चंदन के पौधे लगाए हैं, जो अब धीरे-धीरे पेड़ बनने की दिशा में हैं. वहीं सफेद चंदन की खेती कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है.

अविनाश कहते हैं कि सफेद चंदन के पौधों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं है. शुरू के एक साल में खास देखभाल की जरूरत होती है. बंजर जमीन पर भी इसकी की खेती की जा सकती है. इसको कम पानी की जरूरत होती है. सफेद चंदन के पेड़ है की ऊंचाई 18 से 25 फीट होती है. और इसको तैयार होने में 12-15 साल लगते हैं. सफेद चंदन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे की जरूरत होती है.

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सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है. अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है. जागरूक किसान अविनाश ने बताया कि सफेद चंदन की इस्तेमाल औषधीय बनाने, साबुन, अगरबती, कंठी माला, फर्नीचर, लकड़ी के खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री और विदेशों में फूड में होता है. अविनाश के मुताबिक, एक एकड़ जमीन पर सफेद चंदन के 500 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधों के बीच कम से कम 10 फीट की दूरी होना जरूरी है. एक एकड़ में सफेद चंदन के पौधे लगाने में करीब 1 लाख रुपये तक की लागत आती है. 

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उन्होंने बताया कि सफेद चंदन की खेती करने का आइडिया सबसे मेरी पत्नी शबला सेवा संस्थान के अध्यक्ष किरण यादव ने दिया था. किरण यादव ने कहा कि अगर आपके पास एक एकड़ जमीन और आप खेती में आजमाना चाहते हैं तो आप चंदन की खेती कर सकते हैं. इसमे आप एक लाख रुपये लगाकर 12 से 15 साल में 60 लाख रुपये तक मुनाफा कमा सकते हैं. 10-15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम लकड़ी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 25-30 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है. अविनाश ने बताया कि बस कुछ साल बाद मेरे सभी सफेद चंदन के पेड़ बेचने के लिए तैयार हो जाएंगे, जिससे मुझे करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपये की कमाई होगी.

उन्होंने आगे बताया कि सफेद चंदन की खेती के लिए कोई खास कानूनी प्रक्रिया नहीं है. हालांकि, जिस तरह किसी भी पेड़ को काटने से पहले वन विभाग से मंजूरी लेनी होती है, ठीक उसी तरह सफेद चंदन के पेड़ को काटने से पहले भी वन विभाग से मंजूरी लेनी होती है.

 

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