Success Story: e-कॉमर्स कंपनियों ने इन किसानों को बनाया हाई-टेक, बड़े शहरों तक घंटों में ऐसे पहुंचा रहे क्लालिटी स्ट्रॉबेरी

Success Story: e-कॉमर्स कंपनियों ने इन किसानों को बनाया हाई-टेक, बड़े शहरों तक घंटों में ऐसे पहुंचा रहे क्लालिटी स्ट्रॉबेरी

शहरों में ताजे फलों की बढ़ती ऑनलाइन मांग ने संभल के किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता खोल दिया है. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए स्ट्रॉबेरी बेचकर किसान अब सीधे देशभर के बड़े बाजारों तक अपनी फसल पहुंचा रहे हैं और बेहतर दाम कमा रहे हैं.

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e-कॉमर्स कंपनियों ने इन किसानों को बनाया हाई-टेक, बड़े शहरों तक घंटों में ऐसे पहुंचा रहे स्ट्रॉबेरीऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए फल-सब्जियों की बिक्री

शहरों में ताजे और अच्छी गुणवत्ता वाले फलों की बढ़ती मांग अब ग्रामीण किसानों के लिए आमदनी बढ़ाने का नया जरिया बन रही है. ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए फल-सब्जियों की बिक्री ने पारंपरिक खेती की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है. इसी क्रम में अब उत्तर प्रदेश के संभल जिले के किसान इसका बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहे हैं, जहां स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले हाईटेक किसान अब देशभर के बड़े शहरों तक सीधे अपनी फसल पहुंचा रहे हैं.

संभल के ये किसान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े विक्रेताओं के साथ मिलकर अपनी प्रीमियम क्वालिटी की स्ट्रॉबेरी दिल्ली, लखनऊ, कानपुर और यहां तक कि गुवाहाटी जैसे शहरों में भेज रहे हैं. इससे न सिर्फ उनकी बाजार तक पहुंच बढ़ी है, बल्कि उन्हें बेहतर दाम भी मिल रहे हैं.

4 से 5 घंटे में दिल्ली पहुंचा देते हैं माल

संभल के इन्हीं किसानों में से एक हैं मोहम्मद गुलरेज़, जो पिछले 10–12 सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. गुलरेज़ लगभग 10 एकड़ में स्ट्रॉबेरी उगाते हैं और एक प्रमुख ऑनलाइन रिटेल कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि वे सितंबर के आखिर या अक्टूबर की शुरुआत में फसल लगाते हैं और सर्दियों में ठंड व कोहरे से फसल को बचाने के लिए खास इंतजाम करते हैं. खेती का पूरा चक्र करीब चार महीने का होता है.

गुलरेज़ ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की पैकिंग वह खुद करते हैं ताकि केवल बेहतरीन गुणवत्ता का फल ही ग्राहकों तक पहुंचे. स्ट्रॉबेरी को टिशू पेपर में सावधानी से पैक कर दिल्ली भेजा जाता है, जहां यह 4 से 5 घंटे में पहुंच जाती है. इसके बाद ऑनलाइन ऑर्डर के जरिए ग्राहकों तक इसकी डिलीवरी होती है. उन्होंने कहा कि कंपनी केवल हाई क्वालिटी की स्ट्रॉबेरी ही स्वीकार करती है, इसलिए खराब या कम गुणवत्ता वाले फलों को अलग कर दिया जाता है.

300 रुपये प्रति किलो बेच रहे स्ट्रॉबेरी

ANI से बात करते हुए खेतों में काम करने वाले मजदूरों ने कहा कि फसल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी की जरूरत होती है. अशोक कुमार नामक एक श्रमिक ने बताया कि स्ट्रॉबेरी लगभग 300 रुपये प्रति किलो के भाव से बेची जा रही है और दिल्ली व कानपुर जैसे बाजारों में भेजी जाती है. वहीं, अनिता नाम की एक महिला श्रमिक ने बताया कि पीले पत्तों को समय-समय पर हटाया जाता है और कोहरे से बचाने के लिए फसलों को प्लास्टिक शीट से ढका जाता है.

एक अन्य किसान सुमित कुमार ने बताया कि वे पिछले तीन सालों से 60 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. फसल करीब 45 दिनों में तैयार हो जाती है और इसके बाद इसे लखनऊ, दिल्ली, कानपुर, गुवाहाटी और असम के बाजारों में भेजा जाता है. इन किसानों का मानना है कि ऑनलाइन बिक्री का यह चलन आगे भी जारी रहा तो उन्हें नए बाजार मिलेंगे और मुनाफा बढ़ेगा. साथ ही, यह ग्रामीण भारत में आधुनिक और हाई-टेक खेती की संभावनाओं को भी उजागर करता है.

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