उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन (Kharif season) के अंतर्गत मुख्य फसल के रूप में किसानों के द्वारा धान की रोपाई की जाती है. प्रदेश के पूर्वांचल समेत पश्चिमी हिस्से में भी धान की खेती प्रमुखता से होती है. रबी सीजन के अंतर्गत गेहूं की बुवाई के दौरान प्रदेश में उर्वरक की कमी को लेकर किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. वहीं इस बार सरकार पहले से ही उर्वरक का भंडारण करने में जुटी हुई है. खरीफ के सीजन में फसल की बुवाई के दौरान किसानों को उर्वरक की कमी का सामना ना करना हो इसलिए प्रदेश में सभी डिपो पर डीएपी, यूरिया और पोटाश का अलग-अलग भंडारण किया जा रहा है.
धान की उपज बढ़ाने और खरीफ के अंतर्गत अन्य फसलों की बुवाई के लिए भी बड़ी मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है. प्रदेश में 2022 में 37 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 8.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी. इसलिए इस बार उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही उर्वरक की निर्धारित मात्रा का भंडारण करने में लगी हुई है. अभी तक प्रदेश में 13.24 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 3.28 लाख मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण हो चुका है.
उत्तर प्रदेश में खरीफ की फसल (Kharif season) के अंतर्गत सबसे ज्यादा धान की रोपाई में यूरिया और डीएपी की आवश्यकता होती है, जबकि खरीद के अंतर्गत मोटे अनाज की भी बुवाई होती है, लेकिन इसमें ज्यादा उर्वरक की जरूरत नहीं होती है. कृषि विभाग में उर्वरक के प्रभारी अनिल कुमार पाठक ने किसान तक बताया कि 2022 में खरीफ की फसल की बुवाई में कुल 37 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी, जबकि 8.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी और पोटाश की खपत हुई थी.
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मृदा परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार ही किसानों को अपने खेत में उर्वरक के प्रयोग की मात्रा को निर्धारित करना होता है. सामान्य रूप से धान में प्रति एकड़ 110 किलोग्राम यूरिया की जरूरत होती है, जबकि 52 किलोग्राम डीएपी की जरूरत पड़ती है. इसके साथ ही 40 किलोग्राम पोटाश की मात्रा भी निर्धारित है. किसान के द्वारा निर्धारित मात्रा में उर्वरक के प्रयोग से अच्छी उपज भी प्राप्त होती है.
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