रबी सीजन खत्म हो गया है. अमूमन सभी किसानों ने गेहूं की फसल काट ली है. जिसके बाद इन दिनों गेहूं को बेचने के लिए मंडियों की दौड़ लगा रहे हैं तो वहीं इसमें से ही गेहूं की कुछ मात्रा का किसान भंडारण कर रहे हैं. इस बीच कृषि वैज्ञानिक किसानों से अगले साल रबी सीजन में गेहूं की बुवाई के लिए गेहूं का बीज घर पर ही तैयार करने को कर रहे हैं. इसको लेकर पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि वैज्ञानिक किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि वैज्ञानिक किसानों से ये अपील तब कर रहे हैं, जब इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया है. आइए जानते हैं कि कृषि वैज्ञानिक किसानों से गेहूं का बीज घर पर ही तैयार रखने के लिए कह रहे हैं, उसके पीछे की वजह क्या है.
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि वैज्ञानिक ने किसानों से अगले रबी सीजन के लिए गेहूं का बीज घर पर ही तैयार करने को कहा है. इसके पीछे का एक मुख्य कारण ये है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों की लागत में कम करने के लिए ऐसा कह रहे हैं. द ट्रिब्यून की एक खबर के अनुसार कृषि वैज्ञानिक इस साल बेमौसम बारिश से खराब हुई फसल को लेकर चिंंतित है. ऐसे में अगले साल गेहूं के बीजों के दाम में बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक किसानों को इसी साल गेहूं के बीज घर पर तैयार करने को कह रहे हैं. जिससे की अगले रबी सीजन में बुवाई के दौरान गेहूं बीज पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके.
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कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की बीज इस साल, जो घर पर तैयार करने को कहा है, उसके पीछे दूसरा कारण ये है कि बेमौसम बारिश की मार झेलने के बाद भी गेहूं के दानों की गुणवत्ता में कोई कमी दर्ज नहीं की गई है. असल में पहले गेहूं पर पड़ी बेमौसम बारिश की मार से कृषि वैज्ञानिक चिंंतित थे. कृषि-वैज्ञानिकों को डर था कि खराब मौसम गेहूं की फसल को इतना नुकसान पहुंचा सकता है कि उनमें बीज के रूप में उपयोग करने के लिए पर्याप्त गुणवत्ता ही नही बचे, लेकिन फसल कटाई के दौरान, गेहूं के पौधों ने अपनी गुणवत्ता नहीं खोई.
द ट्रिब्यून ने मोगा जिले के मुख्य कृषि विकास अधिकारी डॉ. मनजीत सिंह और पौध संरक्षण अधिकारी डॉ. जसविंदर सिंह बराड़ के हवाले से लिखा है कि वे घर पर गेहूं का बीज तैयार करने के लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं. जिसके तहत वह किसानों के घर-घर जा रहे हैं. वहीं डॉ बराड़ ने घर पर बीज तैयार करने का तरीका बताते हुए कहा कि इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि किसान अनाज को साफ करें. इसके बाद अनाज को उचित धूप में सुखाएं. जिससे अनाज में लगने वाले फफूंदी और अंकुरण जैसे स्थितियां से बचाया जा सकता है. मसलन, गेहूं में नमी की मात्रा 12 फीसदी से कम होनी जरूरी है. इसके बाद किसानों को चाहिए कि वे बीज के निकाले गए अनाज से टूटे और क्षतिग्रस्त बीजों को भी निकाल दें. इसके बाद कीटनाशक से बीजों का उपचार करना चाहिए और इसे एयरटाइट कंटेनर या नए गनी बैग में स्टोर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीजों को सीधी रोशनी और नमी से दूर ठंडे स्थान पर रखना चाहिए.
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