ICAR की दो उन्नत गेहूं किस्मों के 21 क्विंटल बीज किसानों मिले, बाजार दर पर वापस खरीदेगी UK Seeds

ICAR की दो उन्नत गेहूं किस्मों के 21 क्विंटल बीज किसानों मिले, बाजार दर पर वापस खरीदेगी UK Seeds

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) ने उत्तराखंड में सिंचाई और बारिश स्थितियों के लिए अनुकूल गेहूं की दो उत्तम किस्म के बीजों को किसानों को बुवाई के लिए दिया है. उत्तराखंड सीड्स किसानों से बीज की दोगुनी मात्रा बाजार मूल्य पर किसानों से बॉय बैक करेगी.

Advertisement
ICAR की दो उन्नत गेहूं किस्मों के 21 क्विंटल बीज किसानों मिले, बाजार दर पर वापस खरीदेगी UK Seedsउत्तराखंड के किसानों को उत्तम गेहूं किस्म के 21 क्विंटल बीज दिए गए हैं.

रबी सीजन में गेहूं की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की दो जलवायु अनुकूल नई गेहूं किस्मों को उत्तराखंड के 90 किसानों को सौंपा गया है. ICAR की फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत किसानों को बॉय बैक व्यवस्था के तहत बीज सौंपे गए हैं, जिन्हें उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम (UKS&TDC) बाजार दर पर दोगुनी मात्रा में किसानों से वापस खरीद लेगा. 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) ने उत्तराखंड में सिंचित और वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए अनुकूल गेहूं की उत्तम किस्म PBW 343 और VL967 बीजों को किसानों को दिया गया है. आईसीएआर की फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत बीज वितरण उत्तराखंड सीड्स एंड तराई डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UKS&TDC) के माध्यम से किसानों को सौंपे गए हैं. 

भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (IISWC) के प्रधान वैज्ञानिक और फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट के सदस्य एम मुरुगनंदम ने 'किसान तक' को बताया कि टिकाऊ खेती के लिए क्वालिटी इनपुट और बीज जरूरी हैं. उन्होंने बताया कि 90 किसानों को 21 क्विंटल गेहूं की उत्तम किस्म के बीज दिए गए हैं. इन किसानों के खेतों को बीज उत्पादन केंद्र और प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग किया जा रहा है.  

उत्तराखंड सीड्स करेगी बॉय बैक

एम मुरुगनंदम ने बताया कि बीज वितरण उत्तराखंड सीड्स एंड तराई डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UKS&TDC) देहरादून गेहूं की कटाई के बाद किसानों से उपज बॉय बैक करेगी. मतलब किसानों को जितना बीज दिया गया है उसकी दोगुनी मात्रा बाजार कीमत पर खरीदी जाएगी. ताकि, बीज विकास और जांच के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके जरिए करीब 42 क्विंटल से अधिक गेहूं उपज खरीदी जाएगी. 

मैदानी क्षेत्र में 70 क्विंटल उपज मिलेगी  

आईसीएआर की फार्मर्स फर्स्ट परियोजना प्रभारी और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बांके बिहारी ने किसानों को इन गेहूं की किस्मों की आनुवंशिक क्षमता, उच्च उपज, और क्षेत्रीय अनुकूलता के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इन किस्मों से मैदानी क्षेत्रों में 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज हासिल की जा सकती है. जबकि, देहरादून क्षेत्र में 35-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन पाया जा सकता है.

स्थानीय किस्मों से दोगुनी उपज मिलेगी

उन्होंने कहा कि किसानों को दी गई दोनों किस्में बंपर उपज देती हैं, क्योंकि परंपरागत गेहूं की किस्मों से 15-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज ही किसान हासिल कर पाते हैं, और यह आईसीएआर की नई गेहूं किस्मों की तुलान में आधी ही है. इन किस्मों की बुवाई के लिए 15 से 25 नवंबर तक की विस्तारित समय है. इससे सिंचाई लागत कम हो जाएगी. पहले भी बीते वर्षों के दौरान किसानों को गेहूं की उन्नत किस्मों के बीज किसानों को सौंपे जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT