केंचुआ खाद बनाने में इन 8 बातों की रखें सावधानी, मुर्गी और चूहों से हो सकता है नुकसान

केंचुआ खाद बनाने में इन 8 बातों की रखें सावधानी, मुर्गी और चूहों से हो सकता है नुकसान

केंचुआ खाद पूरी तरह जैविक खाद है. इसका उपयोग फसल की पैदावार को बढ़ाने के साथ-साथ रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने के लिए की जाती है. अलग-अलग फसलों में अलग मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है. ताकि फसलों को सही मात्रा में पोषण मिल सके.

Advertisement
केंचुआ खाद बनाने में इन 8 बातों की रखें सावधानी, मुर्गी और चूहों से हो सकता है नुकसानवर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में इन बातों का रखें ध्यान

फसलों से अधिक उपज पाने के लिए अधिकतर किसान खेतों में अधिक से अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं. जिससे खेतों की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है. साथ ही मिट्टी भी दूषित हो रही है. ऐसे में सरकार की ओर से इससे बचने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है. ताकि मिट्टी की उर्वरता शक्ति को वापस लाया जा सके. इसी कड़ी में अधिकतर किसान केंचुआ खाद का इस्तेमाल करते हैं. अगर आप भी अपने खेतों के लिए केंचुआ खाद बना रहे हैं तो इन 8 बातों का विशेष ध्यान रखें. नहीं तो मुर्गी और चूहों को नुकसान हो सकता है.

केंचुआ खाद का उपयोग

केंचुआ खाद पूरी तरह जैविक खाद है. इसका उपयोग फसल की पैदावार को बढ़ाने के साथ-साथ रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने के लिए की जाती है. अलग-अलग फसलों में अलग मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है. ताकि फसलों को सही मात्रा में पोषण मिल सके. ऐसे में खाद्य फसलों के लिए केंचुआ खाद की मात्रा 3-5 टन/हेक्टेयर, सब्जी की फसलों के लिए 4-6 टन/हेक्टेयर, छोटे फलों के पेड़ों के लिए 2-3 किलोग्राम/पेड़, बड़े फलों के पेड़ों के लिए 4-5 किलोग्राम/पेड़, गमलों के लिए 100-150 ग्राम और सब्जी की नर्सरी के लिए 2-3 किलोग्राम/वर्ग मीटर है.

ये भी पढ़ें: Budget 2024: प्राकृतिक खेती से जोड़े जाएंगे 1 करोड़ किसान, सब्सिडी देकर सरकार करेगी मदद

केंचुआ खाद का लाभ

  • कचरे से खाद बनाने से स्वच्छता बनी रहती है, जिससे बीमारियां कम होती हैं.
  • केंचुआ खाद के इस्तेमाल से मिट्टी में पानी धारण करने की क्षमता और जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है. इससे मिट्टी का तापमान उचित बनाए रखने में मदद मिलती है.
  • रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से उत्पादन लागत कम होती है साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ती है.

केंचुआ खाद बनाने का सही समय

केंचुआ खाद बनाने का उचित समय कभी भी हो सकता है. किसान भाई केंचुआ खाद वर्ष भर बना सकते हैं, लेकिन 15-20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर केंचुए अधिक कार्यशील होते हैं. इसलिए ऐसा समय अधिक लाभकारी हो सकता है.

ये भी पढ़ें: केंचुआ खाद बेचकर लाखों में कर सकते हैं कमाई, महज 50 हजार रुपये में ऐसे शुरू करें इसकी खेती

इन बातों का रखें ध्यान

  1. केंचुए कम और अधिक नमी दोनों के प्रति संवेदनशील होते हैं, इसलिए हमेशा उचित नमी (40-50 प्रतिशत) बनाए रखें.
  2. ढेर को मुर्गियों, चूहों और दीमक से बचाएं. दीमक से बचाने के लिए 4 प्रतिशत नीम कीटनाशक का प्रयोग करें या 500 ग्राम नीम को रात भर पानी में भिगोकर बारीक पीसकर एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  3. क्यारी पर ताजा गोबर न डालें, क्योंकि ताजा गोबर गर्मी पैदा करता है, जिससे केंचुओं के मरने की संभावना रहती है.
  4. गड्ढे के ऊपर मचान बनाकर छायादार रखें और गड्ढों को बारिश और बहते पानी से बचाएं.
  5. साबुन, दवा या किसी भी तरह का रासायनिक पानी गड्ढे में न जाने दें.
  6. पूरी प्रक्रिया के दौरान क्यारी की ऊपरी सतह को दो बार अवश्य कुदालें, ताकि हवा का संचार सुचारू रहे.
  7. केंचुओं को मेंढक, सांप, पक्षी, चींटियों आदि से बचाना चाहिए.
  8. तैयार केंचुआ खाद को छायादार स्थान पर रखना चाहिए.
POST A COMMENT