फसलों से अधिक उपज पाने के लिए अधिकतर किसान खेतों में अधिक से अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं. जिससे खेतों की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है. साथ ही मिट्टी भी दूषित हो रही है. ऐसे में सरकार की ओर से इससे बचने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है. ताकि मिट्टी की उर्वरता शक्ति को वापस लाया जा सके. इसी कड़ी में अधिकतर किसान केंचुआ खाद का इस्तेमाल करते हैं. अगर आप भी अपने खेतों के लिए केंचुआ खाद बना रहे हैं तो इन 8 बातों का विशेष ध्यान रखें. नहीं तो मुर्गी और चूहों को नुकसान हो सकता है.
केंचुआ खाद पूरी तरह जैविक खाद है. इसका उपयोग फसल की पैदावार को बढ़ाने के साथ-साथ रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने के लिए की जाती है. अलग-अलग फसलों में अलग मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है. ताकि फसलों को सही मात्रा में पोषण मिल सके. ऐसे में खाद्य फसलों के लिए केंचुआ खाद की मात्रा 3-5 टन/हेक्टेयर, सब्जी की फसलों के लिए 4-6 टन/हेक्टेयर, छोटे फलों के पेड़ों के लिए 2-3 किलोग्राम/पेड़, बड़े फलों के पेड़ों के लिए 4-5 किलोग्राम/पेड़, गमलों के लिए 100-150 ग्राम और सब्जी की नर्सरी के लिए 2-3 किलोग्राम/वर्ग मीटर है.
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केंचुआ खाद बनाने का उचित समय कभी भी हो सकता है. किसान भाई केंचुआ खाद वर्ष भर बना सकते हैं, लेकिन 15-20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर केंचुए अधिक कार्यशील होते हैं. इसलिए ऐसा समय अधिक लाभकारी हो सकता है.
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