Benefits of Green Manure: खेतों की सेहत के लिए वरदान, जानिए हरी खाद के 5 जबरदस्त फायदे

Benefits of Green Manure: खेतों की सेहत के लिए वरदान, जानिए हरी खाद के 5 जबरदस्त फायदे

Green Manure एक प्राकृतिक, सस्ती और प्रभावी विधि है जिससे किसान अपनी मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं. यह न केवल फसलों की उत्पादकता को बढ़ाती है, बल्कि मिट्टी को भी दीर्घकाल तक उपजाऊ बनाए रखती है. इसलिए हर किसान को जैविक खेती की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हरी खाद का उपयोग अवश्य करना चाहिए.

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खेतों की सेहत के लिए वरदान, जानिए हरी खाद के 5 जबरदस्त फायदेहरी खाद डालने के फायदे (Benefits of Green Manure)

Green Manure: भारत में खेती की परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन आधुनिक समय में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग ने मृदा की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाया है. इससे मिट्टी की उर्वराशक्ति, जलधारण क्षमता और फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. ऐसे में हरी खाद (Green Manure) का उपयोग एक बेहतरीन और सस्ता जैविक विकल्प है, जिससे खेतों की सेहत सुधारी जा सकती है. नीचे हरी खाद के पांच बड़े लाभ दिए गए हैं, जो किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो सकते हैं. 

आपको बता दें कि यह जानकारी आईसीएआर के वैज्ञानिक अनीता कुमावत, दिनेश कुमार, शाकिर अली, देवीदीन यादव और आई. रश्मि ने किसानों के लिए साझा की है. जिसकी मदद से किसान खेती में इसका इस्तेमाल कर लाभ उठा सकते हैं.

1. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार (Improves Soil Quality)

हरी खाद मिट्टी में जीवांश पदार्थों की मात्रा को बढ़ाती है. जब हरे पौधों को खेत में जुताई करके मिट्टी में मिला दिया जाता है, तो वे धीरे-धीरे सड़ते हैं और मिट्टी में जैविक तत्वों की भरपूर आपूर्ति करते हैं. इससे मिट्टी की भौतिक संरचना बेहतर होती है, जलधारण क्षमता बढ़ती है और पोषक तत्वों की उपलब्धता भी अधिक होती है.

2. मृदा क्षरण से सुरक्षा (Soil Erosion)

हरी खाद वाली फसलें जमीन पर एक प्रकार का आवरण बनाती हैं. इससे वर्षा की बूंदें सीधे मिट्टी पर नहीं गिरतीं, जिससे मृदा का कटाव कम होता है. साथ ही यह सतही जल प्रवाह को धीमा करती है, जिससे पानी मिट्टी में अधिक समय तक ठहरता है और जल संरक्षण भी बढ़ता है.

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3. जैविक नाइट्रोजन की पूर्ति (Nitrogen Supply)

हरी खाद के लिए उपयोग की जाने वाली दलहनी फसलें (जैसे सनई, ढैंचा आदि) मृदा में जैविक रूप से नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं. इससे मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है और रासायनिक खादों पर निर्भरता घटती है. यह प्रक्रिया फसलों की बेहतर वृद्धि और अधिक उत्पादन में सहायक होती है.

4. मिट्टी के रोग और खरपतवार नियंत्रण (Soil and Weed Control)

हरी खाद से मृदा में अच्छे सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है, जो हानिकारक रोगाणुओं पर नियंत्रण रखते हैं. साथ ही यह मिट्टी में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं. इसके अलावा, हरी खाद वाली फसलें खेत को ढक लेती हैं, जिससे खरपतवारों को पनपने का मौका नहीं मिलता.

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5. फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि (Productivity and Quality of Crops)

हरी खाद का प्रयोग मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाता है. इससे फसलों को आवश्यक पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं, जिससे उनकी वानस्पतिक वृद्धि और विकास बेहतर होता है. इसके परिणामस्वरूप फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है.

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