महाराष्ट्र में मौसम पूरी तरह से सूखा बना हुआ है. ठंड नाम की कोई बात नहीं है और मौसम पूरी तरह से शुष्क है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक महाराष्ट्र के लगभग हर हिस्से में आगामी 3-4 दिनों तक मौसम शुष्क बना रहेगा. उत्तर कोंकण, दक्षिण कोंकण और गोवा, उत्तर मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, पूर्वी विदर्भ और पश्चिमी विदर्भ इलाके में 15 फरवरी तक मौसम पूरी तरह से शुष्क बने रहने का अनुमान है. इसे देखते हुए फसलों के लिए खास एडवाइजरी जारी की गई है.
महाराष्ट्र में यह सीजन अल्फोंसो आम के लिए बहुत उपयुक्त है. यह आम जल्द निकलता है जिसे बेचकर किसान अच्छी खासी कमाई करते हैं. इसी के साथ नींबू और संतरे की बागवानी भी बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन तापमान बढ़ने से इन फलों के गिरने की घटनाएं देखी जाती हैं. आम या नींबू वर्गीय फलों को गिरने से रोकने के लिए मौसम विभाग ने सलाह जारी की है. आइए जान लेते हैं कि यह सलाह क्या है.
रत्नागिरी, रायगढ़,ठाणे, पालघर और सिंधुदुर्ग जिले के किसानों के लिए जारी सलाह में आईएमडी ने कहा है कि अगर अल्फांसो आम (टिकोले) गिर रहे हैं तो किसानों को 20 पीपीएम नेफ़थलीन एसिटिक एसिड (50 लीटर पानी में 1 ग्राम) का घोल फूल के गुच्छे पर स्प्रे करें. इसी तरह अगर काजू के छोटे फल भी गिर रहे हैं तो काजू के बड़े ग्राफ्ट में 15 दिनों के अंतराल पर प्रति ग्राफ्ट 150-200 लीटर पानी से सिंचाई करें (प्रति पौधे प्रति दिन 15 से 20 लीटर पानी).
मौसम विभाग ने कहा है कि दिन के समय तेज गर्मी के कारण, नए लगाए गए आम के पौधों की छाल उतर जाती है, इसलिए पौधों के तने पर बोर्डो पेस्ट लगाएं. नए लगाए गए सुपारी के बागों में छाया जाल लगाएं ताकि उन्हें तेज धूप से बचाया जा सके. तरबूज के फलों को तेज धूप से बचाने के लिए उन्हें धान के भूसे या घास से ढक दें. मौजूदा और संभावित शुष्क मौसम को देखते हुए चना, गेहूं, गन्ना, मक्का, ज्वार और कुसुम में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. प्याज में झुलसा रोग को नियंत्रित करने के लिए 25 ग्राम मैन्कोजेब या 10 मिली टेबुकोनाजोल को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
अहिल्यानगर, धुले और नंदुरबार जिले के किसानों के लिए जारी फसल एडवाइजरी में मौसम विभाग ने कहा है, मौजूदा और संभावित शुष्क मौसम को देखते हुए, चना, गेहूं, मक्का, कुसुम और ग्रीष्मकालीन मूंगफली में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें. शुष्क मौसम के चलते, यदि प्याज में थ्रिप्स का संक्रमण दिखाई दे, तो डाइमेथोएट 30% EC @15 मिली या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% EC @6 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
परभणी, जालना, हिंगोली, बीड, लातूर, नांदेड, छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव जिले के किसानों के लिए फसल एडवाइजरी में कहा गया है, पकी अलसी, अदरक और हल्दी की कटाई जारी रखें. अच्छी सिंचाई के साथ ग्रीष्मकालीन मूंगफली और तिल की बुवाई जारी रखें. मौजूदा शुष्क मौसम को देखते हुए, गेहूं, रबी ज्वार, मक्का, आलू, गन्ना, चना, बागों और सब्जियों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें.
तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण नींबू के बागों में फूल और फल झड़ रहे हैं, तो इसके प्रबंधन के लिए यूरिया @ 1 किग्रा + एनएए @ 2 ग्राम या प्लेनो फिक्स @ 3 मिली प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें. पिछले सप्ताह तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण, भिंडी में जैसिड, सफेद मक्खी और एफिड का प्रकोप देखा गया. इसके प्रबंधन के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी @ 23 मिली प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें.
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