तमिलनाडु के कोयंबटूर में उर्वरक की बिक्री में धांधली हो रही है. किसानों का कहना है कि जिले में एक ही खाद की अलग- अलग दुकानों पर अलग- अलग कीमतें हैं. खास बात यह है कि सहकारी समितियों द्वारा संचालित दुकानों पर किसानों से खाद के लिए ज्यादा रुपये ऐंठे जा रहे हैं. इससे किसानों के बीच काफी गुस्सा है. किसानों ने दावा किया है कि बाजार में लोकप्रिय उर्वरक फैक्टमफोस 20:20:0:13 की दो कीमतें हैं. उन्होंने दावा किया कि सहकारी समितियों द्वारा संचालित दुकानों में कीमत निजी दुकानों की तुलना में अधिक है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फैक्टमफॉस में 40 फीसदी अमोनियम फॉस्फेट और 60 फीसदी अमोनियम सल्फेट होता है. इसका उपयोग सभी प्रकार की फसलों, मुख्य रूप से फलों और सब्जियों के लिए किया जाता है. किसान संघ (गैर-राजनीतिक) के महासचिव पी कंधासामी ने कहा कि निजी एजेंसियां उर्वरक को 1,200 रुपये (50 किलो बोरी) में बेच रही हैं, जबकि तमिलनाडु सहकारी विभाग द्वारा संचालित स्टोर इसे 1,400 रुपये में बेच रहे हैं. ज्यादातर किसानों का मानना है कि सहकारी दुकानों से उत्पाद खरीदना निजी दुकानों की तुलना में कम महंगा होगा, अजीब बात है.
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कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक के पेरुमलसामी ने कहा कि किसानों ने इस मुद्दे को मेरे संज्ञान में लाया है. सहकारी समितियों में निजी दुकानों से अधिक कीमत नहीं होनी चाहिए. हमने तमिलनाडु सहकारी विपणन महासंघ से एक रिपोर्ट मांगी है. तमिलनाडु सहकारी विपणन संघ के जिला अधिकारी विजय गणेश ने कहा कि स्टॉक के आगमन के आधार पर कीमत में उतार-चढ़ाव होगा. पिछले स्टॉक के अनुसार, कीमत 1400 रुपये है. ताजा स्टॉक सहकारी दुकानों में 1,200 रुपये प्रति बोरी पर उपलब्ध है.
बता दें कि हाल ही में खबर सामने आई थी कि केंद्र सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए 24,420 करोड़ की सब्सिडी को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएंडके की सब्सिडी पर मुहर लगाई है. कहा जा रहा है कि अप्रैल से सितंबर तक चलने वाले 2024-25 खरीफ सीजन के दौरान किसानों को उर्वरक की खरीदारी पर सब्सिडी का लाभ मिलेगा. खास बात यह है कि इसमें किसानों की सहायता और तिलहन व दालों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तीन नए ग्रेड भी जोड़े गए हैं.
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