भारत और दुनिया भर के देशों में बढ़ने वाली है खादों की मांग, टॉप लिस्ट में है NPK  

भारत और दुनिया भर के देशों में बढ़ने वाली है खादों की मांग, टॉप लिस्ट में है NPK  

पिछले वित्त वर्ष में जियोपॉलिटिक्‍स कच्चे माल की कीमतों में तेजी से वृद्धि भी की. हालांकि एनपीके ग्रेड की मजबूत मांग, अच्छे मॉनसून और खरीफ फसल के क्षेत्रफल में वृद्धि के कारण, निर्माताओं ने घटी हुई लागत को सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए कीमतों को संतुलित किया. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में जटिल उर्वरकों की खपत में वृद्धि की आशंका है लेकिन मांग उतनी तेजी से पूरी नहीं की जा सकेगी. 

Advertisement
भारत और दुनिया भर के देशों में बढ़ने वाली है खादों की मांग, टॉप लिस्ट में है NPK   fertilizer crisis: एक रिपोर्ट में उर्वरक की कमी की बड़ी वजह आई सामने

खरीफ के सीजन में जहां किसानों को खाद और उर्वरक की कमी से जूझना पड़ा तो रबी के सीजन में भी इसका संकट बरकरार रहने की आशंका है. क्रिसिल रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में जटिल उर्वरकों की खपत में वृद्धि की आशंका है लेकिन मांग उतनी तेजी से पूरी नहीं की जा सकेगी. आयात पर निर्भरता, जियो-पॉलिटिक्‍स और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की वजह से दुनियाभर में उर्वरक का संकट बढ़ने वाला है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डीएपी और एनपीके उत्पादन पर इन कारकों का अलग-अलग असर पड़ा है. इसकी वजह से एनपीके  की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है. जबकि डीएपी की उपलब्धता सीमित रही. 

चीन के बैन से पड़ा बड़ा असर 

वित्त वर्ष 2025 में जियो-पॉलिटिक्‍स अनिश्चितताओं, जैसे चीन की तरफ से निर्यात प्रतिबंध, जो भारत के आयात का लगभग एक तिहाई है, ने डीएपी की वैश्विक उपलब्धता पर असर डाला. इससे आयातित डीएपी की कीमतों में तेजी आई और आयात आर्थिक रूप से असंभव हो गया. रिपोर्ट में बताया गया कि घरेलू निर्माता एनपीके उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे थे, क्योंकि एनपीके और डीएपी उत्पादन में लचीलापन है और एनपीके की लागत अधिक किफायती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि डीएपी की आपूर्ति में कमी आई, जिसके कारण इसके वॉल्यूम में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. वहीं एनपीके वॉल्यूम में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 

डीएपी की मांग रहेगी स्थिर 

क्रिसिल के निदेशक आनंद कुलकर्णी ने कहा कि पिछले साल वित्त वर्ष के उच्च आधार पर इस वित्त वर्ष में एनपीके वॉल्यूम 4-6 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है जिसमें पर्याप्त मॉनसून का समर्थन है. वहीं डीएपी वॉल्यूम स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि कीमतें उच्च हैं, हालांकि उपलब्धता में सुधार की उम्मीद है. इसे सरकार द्वारा DAP आयात पर अतिरिक्त विशेष मुआवजा, सऊदी अरब के साथ दीर्घकालिक समझौते और चीन के साथ व्यापार तनाव में कमी के माध्यम से समर्थन मिलेगा.  

कच्‍चे माल की कीमतें भी बढ़ीं 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पिछले वित्त वर्ष में जियोपॉलिटिक्‍स कच्चे माल की कीमतों में तेजी से वृद्धि भी की. हालांकि एनपीके ग्रेड की मजबूत मांग, अच्छे मॉनसून और खरीफ फसल के क्षेत्रफल में वृद्धि के कारण, निर्माताओं ने घटी हुई लागत को सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए कीमतों को संतुलित किया. क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट निदेशक नितिन बंसल ने कहा कि इस वित्त वर्ष में जटिल उर्वरकों के लिए शुरुआती बजट आवंटन 49,000 करोड़ रुपये में से करीब 8,000-10,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी कमी होने की संभावना है. 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT