scorecardresearch
Kharif Special: अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई से पहले ऐसे करें इनके बीजों का उपचार

Kharif Special: अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई से पहले ऐसे करें इनके बीजों का उपचार

Kharif Special: बच्चों को बीमारियों से सुरक्ष‍ित रखने के ल‍िए टीका लगाया जाता है और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए टॉनिक दिया जाता है. इसी तरह बीज को रोगों और कीटों से सुरक्ष‍ित रखने के ल‍िए उनका उपचार क‍िया जाता है. कुल म‍िलाकर क‍िसी भी फसल की ग्रोथ उसके स्वस्थ्य बीजों पर न‍िर्भर करती है.

advertisement
खरीफ सीजन में दलहनी फसलों के बीजों का ऐसे करें उपचार- फोटो क‍िसान तक खरीफ सीजन में दलहनी फसलों के बीजों का ऐसे करें उपचार- फोटो क‍िसान तक

खरीफनामा: खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है, लेक‍िन इस सीजन में अरहर, मूंग और उड़द की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. कुल म‍िलाकर खरीफ सीजन धान, मोटे अनाज और दलहन फसलों के उत्पादन के ल‍िए जाना जाता है, लेक‍िन खरीफ सीजन में दलहन फसलों का उत्पादन आसान नहीं है. खरीफ सीजन के दौरान दलहनी फसलों में बीज बोने से लेकर फली बनने तक कई कीट और रोगों का खतरा रहता है, ज‍िसमें रोगों में उकठा रोग, बीजगलन, अर्दगलन, जड़ गलन रोग प्रमुख हैं तो कीटों में कटुआ, फलमक्खी, दीमक, फलीछेदक, रस चूसक कीट का खतरा रहता है. दलहनी फसलों को ये कीट और रोग बहुत हानी पहुंचाते हैं. ऐसे में इन परेशान‍ियों का समाधान बीज उपचार है. मसलन, क‍िसान खरीफ सीजन में दलहन फसलों की बुवाई से पहले उनके बीजों का उपचार जरूर करें. क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में दलहन फसलों के बीजों के उपचार पर पूरी र‍िपोर्ट...

फसलों को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए बीजों को कल्चर से उपचारित किया जाता है. इससे फसल में रोगों का प्रकोप न केवल कम होता है बल्कि दलहनी फसलों की उत्पादकता भी बढ़ती है और इससे खेती की लागत भी कम आती है.

दलहनी फसलों के बीजों का ऐसे करें उपचार  

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर (IIPR) के अनुसार बीज के उपचार को बीजों का टीकाकरण भी कहा जाता है. बीजों के उपचार का सही क्रम FIB है. इसमें F का मतलब Fungicide यानी कवकनाशी, I का मतलब Insecticide यानी कीटनाशी और B का मतलब Bioinoculants यानी जैविक उत्पाद है. संस्थान के अनुसार दलहनी फसलों की बुवाई से पहले कवकनाशी रसायनों से बीजों का उपचार, रोग प्रबंधन का एक प्रभावी एवं सस्ता उपाय है.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: मक्का-बाजरा और ज्वार के बीजों का ऐसे करें उपचार, कई होंगे फायदे

अरहर, उड़द, मूंग की जैसी दलहनी फसलों में बीज जनित एवं जड़ गलन रोगों की प्रभावी रोकथाम के लिए बुवाई से पहले कवकनाशी रसायन जैसे कार्बेन्डाजिम 1.0 ग्राम+थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम, बीज की दर से उपचारित करना चाहिए.

हानिकारक कीड़ों से बचाव के लिए बीज उपचार

IIPR कानपुर के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है क‍ि दलहनी फसलों में एफिड, ग्रिप्स, जैसिड, सफेद मक्खी जैसे व‍िभ‍िन्न रस चूसक कीट लग सकते हैं, ज‍िनकी रोकथाम के लिए 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड से एक क‍िलो बीजों को उपचार‍ित करना चाह‍िए. उपचारित करने के ल‍िए प्लास्टिक या लोहे के बड़े टब अथवा ड्रम में रखे बीजों पर फंगीसाइड और इंसेक्टिसाइड की आवश्यक मात्रा छिड़ककर अच्छी तरह मिला लें.

जैव उर्वरकों से बीजों का करें उपचार, बढ़ेगी उपज

IIPR कानपुर के वैज्ञानिकों के अनुसार राइजोबियम कल्चर से दलहनी फसलों में मृदा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया होती है. इससे औसतन 30 से 50  किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेअर उपलब्धता होती है. जैव उर्वरक राइजोबियम कल्चर के प्रयोग से मृदा में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है. इसमे अरहर, मूंग, उड़द में प्रभावी राइजोबियम कल्चर द्वारा बीजोपचार से फसल उत्पादकता में भी 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है.

कल्चर से बीजों का उपचार कैसे करें

कृषि वैज्ञानिकोंं का कहना है कि जैव उर्वरक राइजोबियम कल्चर से बीजों का उपचार करना बहुत सरल है. इसके लिए करीब एक लीटर पानी की जरूरत होती है, उसमे करीब सौ ग्राम गुड को घोल लीजिए और दो से तीन ग्राम गोंद मिला लीजिए. अगर गुड नहीं घुलता है तो उसे गर्म करके म‍िलाया जा सकता है. बीजोंं के उपचार के लिए 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर को आधा लीटर पानी में घोल कर उबाल लें. बाल्टी में 10 किग्रा बीज डालकर अच्छी प्रकार मिलाएं ताकि सभी बीजों पर कल्चर का लेप चिपक जाए. उपचारित बीजों को 4-5 घंटे तक छाया में फैला दें और सूखने दें. ध्यान रहे कि राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से 2-3 दिन पहले ही कवकनाशियों एवं कीटनाशी से बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए. बुवाई की अनिश्चितता हो तो बीजोपचार सूखे पाउडर से भी किया जा सकता है .

बीज उपचार के समय दें ध्यान 

IIPR ने सुझाव दिया है कि बीजोपचार करते समय दवाओं की मात्रा को लेकर ध्यान रखना चाहिए और बीजोपचार के बाद बीजों को छाया में ही सुखाना चाहिए. किसानों को बीजोपचार करते समय हाथ में दस्ताने पहनने चाहिए. एक ही साथ कई दवाओं से बीजोपचार नहीं करना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है बीजोपचार करते समय ट्राइकोडर्मा के साथ अन्य कीटनाशी या कवकनाशी का प्रयोग नहीं करना चाहिए और उपचारित बीज को पशुओं एवं मनुष्यों के सम्पर्क से दूर रखना चाहिए.