वर्तमान में हमारे देश में गन्ने की पहचान एक औद्योगिक नकदी फसल के रूप में की जाती है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि गन्ने की सेहत पर बराबर ध्यान रखा जाए. गन्ने में लगने वाली बीमारियों पर बारीकी से नजर रखी जाए. तभी किसानों के लिए गन्ने की फसल के बेहतर उत्पादन के लिए रोग की पहचान और प्रबंधन का विशेष महत्व है. यह लंबी अवधि की फसल है जिसके कारण रोगों के पनपने और फैलाव की आशंकाएं बनी रहती हैं. वहीं, देश के ज्यादातर किसान गन्ने में लगने वाली बीमारियों को पहचानने में असफल होते हैं, जिसके कारण फसल की उपज में भारी कमी देखने को मिलती है. गन्ने में लगने वाली ऐसी ही एक बीमारी है लाल सड़न रोग, जिसके लगने पर सिरके जैसी गंध आती है. इस रोग से छुटकारे के लिए नीचे 5 टिप्स दी जा रही है. यहां पढ़ें.
गन्ने की जड़ से लेकर ऊपरी भाग तक में लाल सड़न (रेड रॉट) रोग का प्रकोप होता है. इसकी पहचान यह है कि रोग लगने से गन्ने की पत्तियां पीली हो जाती हैं और उस पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. ऐसे में संक्रमित गन्ने को काटकर बीच से दो फाड़ करने पर अगर गन्ने का गूदा लाल रंग का दिखाई दे और उसमें से सिरके की तरह गंध आ रही हो, तो ऐसा माना जाता है कि खेत में इसका प्रकोप है. लाल सड़न रोग एक कवकजनित रोग है, जो गन्ने के तने को संक्रमित करता है. इस रोग के लगने से गन्ने की उपज और क्वालिटी में कमी आती है. वहीं, इस रोग को ‘गन्ने का कैंसर’ भी कहा जाता है.
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1. लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए खेती करते समय स्वस्थ और प्रमाणित बीज का प्रयोग करना चाहिए.
2. बार-बार एक ही खेत में गन्ने की बुवाई करने से लाल सड़न रोग लगने की संख्या बढ़ जाती है. इसलिए फसल चक्र में धान, अलसी, सरसों, प्याज, लहसुन और हरी खाद की फसल लेनी चाहिए.
3. रोग ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. फिर वहां पर 5 से 10 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक देना चाहिए.
4. इससे मिट्टी में बचे बीजाणु मर जाते हैं. यह काम अगस्त और सितंबर महीने में कर देना चाहिए. ऐसा करने से रोग का बढ़ाव बहुत कम हो जाता है.
5. रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से निकालकर खेतों में कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब का छिड़काव करें.
अगर गन्ने में लाल सड़न रोग लग जाए तो गन्ने के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें. जिन टुकड़ों का सिरा लाल रंग का हो तो उन टुकड़ों को अलग निकाल दें. इसके अलावा रोग प्रतिरोधी प्रजातियों का प्रयोग करना चाहिए. वहीं, खेत में जल निकासी का प्रबंध ठीक से करें. जिन खेतों में पानी भरता है, वहां पर मिट्टी उभारकर गन्ने की बुआई करने से लाल सड़न रोग लगने की कम संभावनाएं रहती हैं. साथ ही यदि शुरुआती लक्षण पौधों में 2 प्रतिशत से अधिक है तो 10 किलो प्रति एकड़ की दर से ब्लीचिंग पाउडर मिट्टी या रेत में मिलाकर खेत में डाल दें. फिर हल्की सिंचाई करनी चाहिए.
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