अब कपास ही नहीं हर फसल के बीज के साथ होगा ब्रॉशर, किसान को मिलेगी हर जरूरी जानकारी 

अब कपास ही नहीं हर फसल के बीज के साथ होगा ब्रॉशर, किसान को मिलेगी हर जरूरी जानकारी 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से एक बड़ा फैसला किया गया है जो कपास के बीजों से जुड़ा हुआ है. मंत्रालय ने सभी तरह के बीजों को बेचने वाली कंपनियों को आदेश दिया है कि वो बीजों के साथ एक ब्रॉशर मुहैया कराएं जिस पर बीज और मैनेजमेंट के बारे में विस्‍तार से जानकारी हो.

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अब कपास ही नहीं हर फसल के बीज के साथ होगा ब्रॉशर, किसान को मिलेगी हर जरूरी जानकारी अब हर फसल के बीज के पैकेट पर होगी जानकारियां

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से एक बड़ा फैसला किया गया है जो कपास के बीजों से जुड़ा हुआ है. मंत्रालय ने सभी तरह के बीजों को बेचने वाली कंपनियों को आदेश दिया है कि वो बीजों के साथ एक ब्रॉशर मुहैया कराएं जिस पर बीज और मैनेजमेंट के बारे में विस्‍तार से जानकारी हो. खास बात है कि इस साल 15 जनवरी को मंत्रालय ने यह आदेश सिर्फ कपास के बीजों को लेकर दिया था. लेकिन अब यह कपास के अलावा बाकी सभी फसलों के बीजों पर लागू होगा. पैकेट पर स्‍थानीय भाषा के अलावा अंग्रेजी में भी बीजों के बारे में हर जरूरी जानकारी दी जाएगी. 

सिर्फ कपास ही क्‍यों? 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों ने इस बात को लेकर विरोध दर्ज कराया था कि सिर्फ कपास की फसल को ही इसमें शामिल क्‍यों किया गया है. इसके बाद से इस फैसले को सभी फसलों के लिए मान्‍य किया गया है. कपास की खेती देश में 13 लाख हेक्‍टेयर जमीन पर की जाती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से गुलाबी सुंडी की बढ़ती घटनाओं और इसे नियंत्रित करने के तरीकों में जरूरी टेक्‍नोलॉजी की कमी और बड़े स्‍तर पर इसकी कीमतेों में उतार चढ़ाव के चलते किसान अब इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. किसान अब कपास की जगह मक्‍का समेत दूसरी फसलों का रुख कर रहे हैं. 

कपास से मुंह मोड़ते किसान 

इसकी वजह से देश में कपास के रकबे में कमी आती जा रही है. 130 लाख हेक्‍टेयर से यह 113 लाख हेक्‍टेयर पर आ गया है. इसे ध्‍यान में रखते हुए कपास उत्‍पादकों को बीज के स्‍त्रोत और फसल प्रबंधन के बारे में जानकारी देने के मकसद से केंद्र सरकार की तरफ से 15 जनवरी को ब्रॉशर के साथ बीज बेचने का आदेश जारी किया गया था. कंपनियों को आदेश दिया गया था कि उन्‍हें ब्रॉशर पर हर तरह की जानकारी देनी होगी जैसे कि कपास की कौन सी किस्‍म के बीज हैं, मैच्‍योरिटी पीरियड, ऊंचाई, किस तरह की मिट्टी उपजाऊ रहेगी, कैसी सिंचाई हो, उर्वरक कैसे हों, फाइबर क्‍वालिटी से लेकर खेती का प्रबंधन कैसा हो आदि. लेकिन कंपनियों ने इसका विरोध किया. साथ ही केंद्र सरकार करे बताया कि इसी तरह का फैसला बाकी फसलों के लिए भी लिया जाए. 

किसान संगठनों ने उठाया मसला 

इसके बाद केंद्र सरकार ने पिछले दिनों फैसला किया कि सभी तरह के बीजों के पैकेट पर इस तरह की जानकारी होनी चाहिए. कपास के बीजों के मामले में बैग पर मिट्टी का टाइप और बीज को कितनी दूरी पर बोया जाए, इसकी जानकारियां देनी जरूरी होती थी. ऐसे में किसान संगठनों के तकनीकी गठबंधन की तरफ से मांग की गई कि कपास के बीजों के साथ एक ब्रॉशर भी होना चाहिए. गठबंधन के मुखिया मिलिंद दामले ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और इस मामले में को उठाया था. लेकिन बीज कंपनियों ने जानकारियों को पैकेट पर क्‍यूआर कोड के जरिये देने की को‍शिश की थी. उनका कहना था कि उन्‍हें सरकार का आदेश देर से हासिल हुआ था. 

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