Mango Farming: जनवरी में आम के बाग में करें ये काम, मिलेगी भरपूर पैदावार

Mango Farming: जनवरी में आम के बाग में करें ये काम, मिलेगी भरपूर पैदावार

अगर आपने आम के नए पौधे लगाए हैं या बाग 1-2 साल पुराने हैं, तो ठंडे तापमान से होने वाली क्षति से बचाव के लिए पौधों को फूस या घास से ढकना चाहिए, जिसे "थैचिंग" कहा जाता है. इस प्रक्रिया से पौधों को ठंड से सुरक्षा मिलती है और उनकी बढ़वार बेहतर होती है.

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Mango Farming: जनवरी में आम के बाग में करें ये काम, मिलेगी भरपूर पैदावारजनवरी में आम के बाग में करें ये काम

आपको किसी भी राज्य के किसी भी हिस्से में आम के छोटे-बड़े बाग़ जरूर मिल जाएंगे, जिनमें कई अलग-अलग किस्मों के आम के पेड़ लगे होते हैं. जनवरी के बाद इनमें मंजर आने लगते हैं. ऐसे में आम के पेड़ों का सही प्रबंधन आपकी उपज में बढ़ोतरी कर सकता है, जबकि ध्यान न देने पर पेड़ कीट-रोगों की चपेट में आ सकते हैं. आम के बागों में सही देखभाल और प्रबंधन से अधिक उत्पादन और बेहतर फल की गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है. आम के बागों की उचित देखभाल और प्रबंधन से न केवल अधिक फल की पैदावार प्राप्त होती है, बल्कि फल की क्वालिटी भी बेहतर होती है. यह सभी उपाय खासकर ठंडे मौसम, रोगों और कीटों से बचाव के लिए जरूरी हैं. अगर आप इन सभी सुझावों का पालन करते हैं, तो निश्चित रूप से आम के बाग में बंपर उत्पादन होगा और आपको अच्छा मुनाफा मिलेगा.

नए आम के बागों में करें ये काम

अगर आपने नए पौधे लगाए हैं या बाग 1-2 साल पुराने हैं, तो ठंडे तापमान से होने वाली क्षति से बचाव के लिए पौधों को फूस या घास से ढकना चाहिए, जिसे "थैचिंग" कहा जाता है. इस प्रक्रिया से पौधों को ठंड से सुरक्षा मिलती है और उनकी बढ़वार बेहतर होती है. सिंचाई नियमित रूप से करते रहें और मिट्टी में अधिक समय तक नमी संरक्षित रखने के लिए मल्चिंग का प्रयोग करें. यह प्रक्रिया न केवल मिट्टी की नमी बनाए रखती है, बल्कि गर्मी और सर्दी से होने वाली मिट्टी की क्षमता को भी कम करती है.

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बाग में इन रोगों से रहें सावधान

कुछ बागों में आम के बौर जल्दी ही निकलने लगते हैं, जो झुलसा रोग का शिकार हो सकते हैं. यह रोग तब फैलता है जब वायुमंडल में 80 फीसदी से अधिक आर्द्रता हो और वर्षा के कारण नमी बढ़ जाती है. इस स्थिति में, बौर को बचाने के लिए 0.2 फीसदी मैंकोज़ेब या 0.025 फीसदी ट्राइफ्लोक्सिस्ट्रोबिन का छिड़काव किया जा सकता है. आम के पेड़ों में बौर लगने के बाद एंथ्रेक्नोज नामक रोग का खतरा बढ़ जाता है. यह रोग बोर के काले होने और गिरने का कारण बन सकता है. इसलिए, बौर पर एंथ्रेक्नोज का प्रकोप होने से पहले ही उपचार करना जरूरी है. आम के एंथ्रेक्नोज से बचने के लिए, रोगग्रस्त पत्तियों, टहनियों, और फलों को हटा देना चाहिए. रासायनिक नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 0.1 फीसदी का छिड़काव किया जा सकता है.

पेड़ की छंटाई और खाद प्रबंधन

आम के बागों में पेड़ की छंटाई भी बहुत महत्वपूर्ण होती है, खासकर 15-30 साल पुराने बागों में, जहां पेड़ की शाखाएं एक-दूसरे से मिल चुकी होती हैं. ऐसी स्थिति में, पेड़ के मध्य भाग को खोलने के लिए शाखाओं को काटा जाता है ताकि सूरज की रोशनी बेहतर तरीके से प्रवेश कर सके. इससे फल की क्वालिटी और आकार में सुधार होता है और उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है. आम के बाग में उर्वरक का सही उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर पेड़ों की पत्तियां सूख कर गिर रही हों, तो म्यूरेट ऑफ पोटाश की जगह पोटेशियम सल्फेट का उपयोग करें. अगर फल की मिठास बढ़ानी हो, तो उर्वरक में जिंक का प्रयोग करें. इन उर्वरकों को पेड़ के चारों ओर 3 से 4 फीट के घेरे में गोलाकार तरीके से डालें.

कैसे प्राप्त करें बोर-फल की क्वालिटी

आम के बागों में एक आम समस्या होती है. अल्टरनेटर बेयरिंग, यानी कुछ सालों में अच्छे फल आते हैं, जबकि अगले साल बहुत कम या बिल्कुल नहीं आते. इसके लिए, हर साल फल की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए पेड़ों में सही समय पर छंटाई और उचित सिंचाई करना आवश्यक है. इसके अलावा, गुच्छा रोग से प्रभावित शाखाओं को 3 इंच नीचे से काट देना चाहिए और उचित दवाइयों का उपयोग करना चाहिए. जब बौर पर फल लगते हैं, तो यह अहम है कि अधिक फल एक बौर में न रहें, क्योंकि इससे फल छोटे और खराब गुणवत्ता के हो सकते हैं. इसके लिए बोर में 2-3 फल छोड़ने की सलाह दी जाती है. इस तरह से फल बड़े होंगे और उनकी गुणवत्ता बेहतर रहेगी.

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