पिछले कई सालों से महाराष्ट्र में किसानों को खाद खरीदने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसे लेकर महाराष्ट्र स्थित किसान संघ शेतकारी संगठन ने राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (RCF) के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें यूरिया की बिक्री में किसानों के साथ गलत बर्ताव करने का आरोप लगाया गया है. किसान संघ के अध्यक्ष रघुनाथ पाटिल ने कहा है कि दायर की गई शिकायत में कहा गया है कि RCF किसानों और डीलरों को यूरिया के साथ अलग से खाद खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है, जो कानूनों का उल्लंघन है. हालांकि, पाटिल ने कहा कि उन्हें अभी तक CCI से कोई सूचना या कंफर्मेशन नहीं मिली है कि उनका आवेदन मंजूर कर लिया गया है.
अपनी शिकायत में पाटिल ने कहा है कि RCF कथित तौर पर यूरिया की बिक्री को अपने मुताबिक और सब्सिडी वाले जरूरी खाद के रूप में जबरन खरीद पर शर्त लगाता है. इस प्रथा को उत्पाद "टैगिंग" के रूप में जाना जाता है, जिसका दावा है कि यह अन्य खाद निर्माताओं के लिए बाजार तक पहुंच को प्रतिबंधित करता है, जबकि किसानों पर अनावश्यक खर्चों का बोझ डालता है.
उन्होंने बताया कि सीसीआई से संपर्क करने से पहले, मैंने स्थानीय खुदरा विक्रेताओं से बात की जिन्होंने कहा कि लिंकिंग (टैगिंग) इसलिए की जाती है क्योंकि कंपनियां उन्हें अन्य उत्पादों की एक निश्चित मात्रा उठाने के लिए मजबूर करती हैं, जबकि वे आगे बेचने के लिए रासायनिक उर्वरक भेजते हैं. हमने उन कंपनियों से भी संपर्क किया जिन्होंने दावा किया कि यह किया जा रहा है.
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किसान संघ के अध्यक्ष ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि गैर-यूरिया जैविक उत्पादों को यूरिया के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से मिट्टी को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. इससे उर्वरक के संतुलित उपयोग के सरकार के उद्देश्य को भी हासिल करने में मदद मिलेगी.
किसान इस जबरदस्ती बिक्री से जूझ रहे हैं, जो उन्हें अतिरिक्त उर्वरक खरीदने के लिए मजबूर करती हैं, जिनकी उन्हें न तो ज़रूरत है और न ही वे उन्हें खरीद सकते हैं. पाटिल ने कहा कि यह अनुचित शर्त को समाप्त किया जाना चाहिए. आरसीएफ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एससी मुदगेरिकर ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी. इस बीच, शिकायत में आगे आरोप लगाया गया है कि सरकारी संस्थाओं की ओर से कई चेतावनियों के बावजूद, आरसीएफ ने इन चीजों को अपनाना जारी रखा है.
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पहले ही 2022 में खादों की जबरन बंडलिंग के बारे में चिंता जताई थी, जबकि महाराष्ट्र और पंजाब सहित राज्य सरकारों ने कंपनियों को इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किए हैं. बता दें कि जून 2024 में खाद निर्माताओं द्वारा आयोजित एक आंतरिक बैठक में डीलरों और किसानों की अनिवार्य उत्पाद खरीद के बारे में शिकायतों को स्वीकार किया गया था. हालांकि, अभी तक यह काम जारी रही, जिसके कारण शेतकरी संगठन ने इस मुद्दे को सीसीआई तक पहुंचाया है.
आरसीएफ, जो 75 प्रतिशत सरकारी हिस्सेदारी वाली संस्था है और जिसे हाल ही में "नवरत्न" का दर्जा दिया गया है. इसके महाराष्ट्र की बाजारों में महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां यह राज्य की यूरिया जरूरतों का 40 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करता है.
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