उत्तर प्रदेश में इन दिनों बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल के दो दर्जन जनपद के किसान बारिश नहीं होने से परेशान हैं. ऐसे में उद्यान विभाग ने किसानों को कुफरी सिंदूरी आलू (Kufri Sindoori crop) उगाने की सलाह देनी शुरू कर दी है. आलू की अगेती फसल के रूप में किसानों के लिए कुफरी सिंदूरी एक बेहतर किस्म है. आलू की कुफरी सिंदूरी प्रजाति किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार साबित होगी. आलू की यह किस्म केवल 80 दिन में तैयार हो जाती है. वही इसकी पैदावार भी 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को सितंबर महीने से ही आलू की खेती की तैयारी करने की सलाह दी है.
उद्यान विभाग के अधिकारी प्रमोद यादव ने बताया कि कुफरी सिंदूरी आलू (Kufri Sindoori crop) की फसल 80 दिन के भीतर ही तैयार हो जाती है. जल्दी तैयार होने के कारण बाजार में किसानों को उपज का अच्छा दाम भी मिलता है. वही इस आलू की उपज भी अच्छी है. आलू की इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक है. किसान अब आलू की फसल के लिए कुफरी सिंदूरी पहली पसंद बन रही है.
उद्यान विभाग जिलों में कुफरी सिंदूरी आलू (Kufri Sindoori crop) का बीज किसानों को हर साल बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध कराता है. अमेठी जनपद के जिला उद्यान अधिकारी संजय यादव ने बताया आलू के बीज की मांग की गई है. वही किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बीच का वितरण किया जाएगा. जिले में लगभग 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती की जाती है.
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आलू की अगेती फसल की बुवाई 15 सितंबर से प्रारंभ हो जाती है. बुवाई का समय 15 से 25 अक्टूबर तक है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओपी सिंह ने बताया की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को जल निकास वाली बलुआ दोमट मिट्टी का चयन करें. खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना दें. एक लाइन से दूसरी लाइन की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखे. वही पौधों से पौधों के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. 1 एकड़ में 14 क्विंटल शुद्ध बीज की जरूरत होती है. अच्छी पैदावार के लिए किसान बुवाई के समय 70 किलो नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फेट और 40 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें.
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