कई बार ऐसा होता है कि अच्छे बीज लगाने के बावजूद फसल कमज़ोर दिखती है. अगर आपको भी ऐसा दिखे तो समझ लें कि जड़ों में कोई समस्या है. जब जड़ें कमजोर होती हैं तो फसल कमजोर हो जाती है. ऐसी स्थिति में फसल के सूखने और गिरने का डर होता है. इस समस्या के समाधान के लिए KRIBHCO Rhizosuper की LCO सिग्नलिंग तकनीक लाभकारी मानी जाती है. यह तकनीक माइकोराइजा को जल्दी सक्रिय करती है, जिससे जड़ें मज़बूत होती हैं, और पौधे मिट्टी से अधिक पोषक तत्व औक पानी सोख पाते हैं. राइजोसुपर एक जैव उर्वरक है जो एक साथ कई काम करता है.
कृभको का राइजोसुपर एलसीओ तकनीक पर काम करता है. यहां एलसीओ का अर्थ है लिपो-काइटो-ऑलिगोसेकेराइड. दरअसल, एससीओ अणु पौधों में प्राकृतिक तौर पर पाए जाते हैं जो जड़ों के विकास और पोषक तत्वों के अवशोषण में अहम भूमिका निभाते हैं. कृभको राइजोसुपर में ये अणु खास तकनीक के जरिये दिए जाते हैं जो जड़ों को पोषक तत्व अवशोषित करने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करते हैं.
एलसीओ तकनीक की मदद से फसलों की जड़ें मजबूत बनती हैं. इससे जड़ों का विकास बढ़ता है. जड़ों का विकास होने से पौधे मजबूत होते हैं. जड़ों द्वारा अधिक मात्रा में पोषक तत्वों को सोखा जाता है. जड़ें पानी भी उपयुक्त मात्रा में लेती हैं जिससे फसलों का विकास तेज होता है और पौधे स्वस्थ रहते हैं.
जड़ों और पौधों के विकास ठीक होने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है. इसके साथ ही मिट्टी की सेहत भी सुधरती है क्योंकि राइजोसुपर एलसीओ तकनीक के जरिये सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है. इससे मिट्टी सेहतमंत रहती है और फसलों की पैदावार बढ़ती है. कृभको का राइजोसुपर पौधों को बीमारी और कीटों लड़ने में मदद करता है. इससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे पैदावार में वृद्धि होती है.
राइजोसुपर पर्यावरण के लिहाज से भी उपयुक्त है क्योंकि इससे मिट्टी और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. इसका उपयोग करके किसान टिकाऊ खेती कर सकते हैं. यह पूरी तरह से जैव उर्वरक है जिसमें किसी तरह का केमिकल नहीं होता. इस जैव उर्वरक से एक साथ तीन काम होते हैं-बीज उपचार, मिट्टी में मिलाना और पौधों पर छिड़काव करना. ऐसे में यह उर्वरक और इसकी एलसीओ तकनीक किसानों के लिए बेहद कारगर है.
किसान अगर प्राकृतिक या जैविक खेती करना चाहते हैं तो इस उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह है जैव उर्वरक है जो मिट्टी और पर्यावरण को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचाता.
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