रबी सीजन यानी सर्दियों में मक्के की खेती की तैयारियों में जुटे किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) नई हाइब्रिड किस्म लेकर आया है. यह नई स्वीटकॉर्न हाइब्रिड किस्म फसल में लगने वाले भूरे रंग के पत्ती धब्बा रोग को पनपने नहीं देती है. इसके अलावा कम लागत में इस किस्म के जरिए किसान केवल 103 दिनों में 46 क्विंटल तक की उपज हासिल कर सकते हैं.
वर्तमान में किसानों के लिए जलवायु के साथ ही कीटों और रोगों से फसल को बचाना बड़ा संकट बन रहा है. इससे किसानों को राहत देने और बंपर उपज को बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2024 में जलवायु अनुकूल 109 नई किस्मों को लॉन्च किया था, जिसमें मक्का की 6 नई उन्नत किस्में भी शामिल थीं. ये नई किस्में भारतीय किसानों को चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में भी अधिक उपज देने का वादा करती हैं. नई किस्मों में मक्का की पूसा स्वीट पॉपकॉर्न हाइब्रिड-2 (एपीसीएच 3) (Maize Pusa Popcorn Hybrid-2 (APCH 3)) को भी लॉन्च किया.
मक्का की पूसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड-2 (एपीसीएच 3) किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के रिसर्च संस्थान (IARI) ने विकसित किया है. आईसीएआर ने रबी सीजन में इस किस्म की बुवाई करने की सलाह किसानों को दी है. यह मक्का किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है. यहां की जलवायु में यह किस्म कम लागत में किसानों को बंपर पैदावार देगी.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-IARI) के अनुसार यह पूसा स्वीट पॉपकॉर्न हाइब्रिड-2 (एपीसीएच 3) किस्म सिंचित रबी सीजन में बुवाई के लिए उत्तम है. यह किस्म 103 दिन में तैयार हो जाती है. किसान इस किस्म की बुवाई एक हेक्टेयर में कर 46 क्विंटल तक की उपज आराम से हासिल कर सकते हैं. इस किस्म की खास बात ये है कि यह जलवायु अनुकूल होने के चलते बदलते मौसम में भी दाने के विकास पर फर्क नहीं पड़ता है.
पूसा स्वीट पॉपकॉर्न हाइब्रिड-2 (एपीसीएच 3) को विकसित करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(IARI) के अनुसार यह किस्म फसल के लिए सबसे घातक फंगल बीमारी टैन लीफ ब्लॉच को पनपने नहीं देती है. टैन लीफ ब्लॉच एक तरह का पीला धब्बा पत्ता रोग है, जो पत्तियों और तनों को सड़ाकर भुट्टे और दानों के आकार को सिकोड़ देता है.
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