अमेरिका बना भारत के आमों का टॉप एक्‍सपोर्ट मार्केट, अल्‍फॉन्‍सो नहीं केसर के लिए बढ़ रही दिवानगी

अमेरिका बना भारत के आमों का टॉप एक्‍सपोर्ट मार्केट, अल्‍फॉन्‍सो नहीं केसर के लिए बढ़ रही दिवानगी

अमेरिका, भारत में पैदा होने वाले आमों का एक बड़ा बाजार बन गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केसर के ग्‍लोबल एक्‍सपोर्ट में तेजी से इजाफा हुआ है. केसर आम की लंबी शेल्‍फ लाइफ और दुनिया में बढ़ती इसकी लोकप्रियता की वजह से इसका निर्यात बढ़ रहा है. गुजरात के किसानों की आय में इजाफा करने वाले केसरिया रंग के केसर ने अमेरिका में लंबे समय से राज कर रहे नाजुक अल्फांसो से उसका ताज छीन लिया है. 

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अमेरिका बना भारत के आमों का टॉप एक्‍सपोर्ट मार्केट, अल्‍फॉन्‍सो नहीं केसर के लिए बढ़ रही दिवानगी अमेरिका बना सबसे बड़ा बाजार

अल्‍फॉन्‍सो आम जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी मिठास के लिए जाना जाता है, हो सकता है कि जल्‍द ही 'किंग' होने का खिताब गंवा सकता है. गुजरात का केसर जल्‍द ही अल्‍फॉन्‍सो की जगह ले सकता है. गुजरात में उगाया जाने वाला केसर अपनी मिठास के साथ ही साथ कठोरता के लिए अमेरिका में बसे प्रवासियों के बीच मजबूत पहचान बनाता जा रहा है. एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका ने केसर ने अल्‍फॉन्‍सो को पीछे छोड़ते हुए भारत के टॉप एक्‍सपोर्टर की जगह हासिल कर ली है. 

क्‍यों बढ़ा केसर का एक्‍सपोर्ट 

अमेरिका, भारत में पैदा होने वाले आमों का एक बड़ा बाजार बन गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केसर के ग्‍लोबल एक्‍सपोर्ट में तेजी से इजाफा हुआ है. केसर आम की लंबी शेल्‍फ लाइफ और दुनिया में बढ़ती इसकी लोकप्रियता की वजह से इसका निर्यात बढ़ रहा है. जबकि अल्फांसो को यमनी आम जैसी बाकी किस्मों से लॉजिस्टिक्‍स से जुड़ी चुनौतियों और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. गुजरात के किसानों की आय में इजाफा करने वाले केसरिया रंग के केसर ने अमेरिका में लंबे समय से राज कर रहे नाजुक अल्फांसो से उसका ताज छीन लिया है. 

यूएई पीछे, अमेरिका आगे 

रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका में दक्षिण एशियाई प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने केसर की मांग को बढ़ाया है. इसके अलावा एयर कार्गो और कोल्ड चेन में भी सुधार हुआ है. वहीं कोविड के बाद व्यापार समझौते या फाइटोसैनिटरी नियमों में जो ढील दी गई थी, उसने केसर के निर्यात को बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है.  वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 और जनवरी 2025 के बीच भारत ने अमेरिका को 24.97 लाख डॉलर के आम निर्यात किए हैं. यह पहली बार हैं जब अमेरिका ने यूएई को पीछे छोड़ दिया है. इस अवधि में यूएई को 20.78 लाख डॉलर के आम निर्यात किए गए. इस आंकड़े में ताजे, सूखे और गूदे वाले आम शामिल हैं. 

लिस्‍ट में और कौन-कौन से आम 

ताजे आमों की श्रेणी में, जिसमें सूखे स्लाइस और पल्प शामिल नहीं हैं, अमेरिका को केसर का निर्यात 4.63 मिलियन डॉलर का था. यह पल्प अल्फांसो से कहीं ज्‍यादा था. अल्‍फॉन्‍सों का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में करीब 2.85 मिलियन डॉलर का था. आंध्र प्रदेश की एक किस्म बंगनापल्ली तीसरे स्थान पर रही है. इस आम को अपनी खास महक और फाइबर फ्री पल्‍प के लिए जाना जाता है. इसका निर्यात 1.43 लाख डॉलर कीमत का था अमेरिका को भारत की निर्यात सूची में अन्य आम की किस्मों में लोकप्रिय लंगड़ा, दशहरी, चौसा, तोतापुरी और मल्लिका शामिल हैं. 

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