झांसी ज़िले में खाद का संकट गहराता जा रहा है. हालात ये हैं कि हज़ारों किसान देर रात से केंद्रों के बाहर कतारों में लग जाते हैं, दिन भर भूखे-प्यासे इंतज़ार करते हैं, लेकिन उन्हें एक बोरी खाद भी नहीं मिलती. सबसे बड़ा संकट डीएपी खाद का है. बेबस किसान महीनों से केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं. हालात बेकाबू हैं और कई बार धक्का-मुक्की और मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी हैं, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
मऊरानीपुर तहसील के पीसीएफ केंद्र पर हर रोज़ किसानों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं. कई किसान रात में अपने परिवार के साथ डेरा डालते हैं, लेकिन सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं और शाम को खाली हाथ लौट जाते हैं. बेचारे किसान सुबह अपने परिवार के साथ केंद्र पर खाना-पीना खाकर आते हैं और दिन भर बैठे रहते हैं और शाम को खाली हाथ लौट जाते हैं, लेकिन इन किसानों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.
महिला किसान गुड़िया देवी, जमना देवी और रामदेवी ने बताया कि पिछले 15 दिनों से खाद न मिलने से वे परेशान हैं. उन्हें सुबह 3 बजे से लाइन में लगना पड़ता है, लेकिन पूरा दिन इंतज़ार करने के बाद भी उन्हें एक बोरी खाद तक नहीं मिलती. उन्होंने आगे कहा कि हम अपने बच्चों के साथ लाइन में लगते हैं, यहीं खाना खाते हैं, उमस भरी गर्मी और धूप में दिन गुजारते हैं, लेकिन कुछ नहीं मिलता. खरीफ की फसल तो पहले ही बर्बाद हो चुकी है, अब अगर समय पर खाद नहीं मिली तो रबी की फसल भी बर्बाद हो जाएगी.
किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार ने आरोप लगाया कि प्रशासन किसानों की समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है. उन्होंने कहा, "बारिश ने पहले ही किसानों की खरीफ की फसल बर्बाद कर दी है. अब किसानों को रबी की फसल से ही उम्मीद है. लेकिन खाद-बीज की भारी किल्लत के चलते किसान समय पर बुवाई नहीं कर पाएंगे. जिले भर के किसान रात-रात भर केंद्रों पर डेरा डाले हुए हैं, लेकिन प्रशासन को यह भी नहीं पता कि बुवाई का सही समय कब है. कृषि अधिकारी भी बेमतलब के बयान दे रहे हैं." शिवनारायण सिंह ने चेतावनी दी कि अगर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या का तत्काल समाधान नहीं किया तो किसान बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे. (अजय झा का इनपुट)
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