तमिलनाडु के कोयंबटूर में किसानों ने कंपोस्ट खाद की कमी के बीच ह्यूमिक एसिड की मांग उठाई है. किसानों का कहना है कि इससे खाद की समस्या दूर होगी और कंपोस्ट खाद की कमी का समाधान भी निकलेगा. कोयंबटूर के किसानों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें कंपोस्ट खाद के विकल्प के तौर पर ह्यूमिक एडिड मुहैया कराया जाए. इसका इस्तेमाल खेती में बड़े पैमाने पर होता है और इससे फसलों को फायदा भी मिलता है.
अथिकादावु-कौसिका विकास समिति के किसान विंग के सचिव के बालकृष्णन ने 'TNIE' से कहा, "शहरीकरण और मजदूरों की कमी के कारण पशुपालन में कमी आई है. इसके कारण कंपोस्ट खाद की उपलब्धता बहुत कम हो गई है. इसलिए किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके कारण मिट्टी में सूक्ष्मजीव कम हो रहे हैं. नतीजतन, चाहे जितना भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाए, अच्छी उपज नहीं मिलती. इसके बजाय, मिट्टी बंजर हो जाती है."
बालकृष्णन ने कहा, "मिट्टी की उर्वरता मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या से ही बेहतर होती है. इन सूक्ष्मजीवों को अपनी गतिविधियों या भोजन के लिए बहुत अधिक कार्बन की जरूरत होती है और यह कार्बन केवल खाद के जरिये ही उपलब्ध होता है. इसलिए, जब खाद उपलब्ध न हो तो ह्यूमिक एसिड मिलाने से मिट्टी में कुछ कार्बन बना रह सकता है."
उन्होंने आगे कहा, "बाजार में ह्यूमिक एसिड कई ग्रेड में और अलग-अलग कीमतों पर उपलब्ध है. इस वजह से किसान इसकी क्वालिटी तय नहीं कर पाते और इसका इस्तेमाल करने से कतराते हैं. इस पर काबू पाने के लिए, चूंकि तमिलनाडु में नेवेली कोयला खदान में ह्यूमिक एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसलिए इसे नेवेली लिग्नाइट कोल कंपनी या राज्य सरकार के कृषि विभाग जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किसानों को कम कीमत और दिया जाना चाहिए. इससे किसानों की पैदावार बढ़ेगी और केंद्र सरकार के लिए रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी की लागत भी कम होगी."
ह्यूमिक एसिड का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में किया जाता है. यह मिट्टी की रासायनिक और जैविक बनावट में सुधार करता है जिससे मिट्टी भुरभुरी बनती है. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है और हवा का प्रवेश भी आसान होता है. ह्यूमिक एसिड पौधों की पत्तियों में क्लोरोफिल की मात्रा को बढ़ाता है, जो पौधों को हरा-भरा रखता है. यह पौधों के लिए विटामिक का काम करता है.
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